"राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता, गरिमा और जीवन जैसे मानवाधिकारों के संरक्षण एवं प्रसार के लिये किया गया था, लेकिन पर्याप्त शक्तियों के अभाव में यह ‘दंतविहीन बाघ’ के समान रह गया है।" चर्चा करें।
06 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। यह निकाय मानवाधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में भारत की सर्वोच्च संस्था है जो भारतीय संविधान एवं अंतर्राष्ट्रीय संधियों के आधार पर व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता, गरिमा जैसे मानवाधिकारों के सरंक्षण एवं प्रसार का कार्य करती है। इसके लिये आयोग को निम्नलिखित शक्तियाँ प्रदान की गई हैं-
इन शक्तियों के बावजूद हाल ही में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तु ने आयोग को ‘दंतविहीन बाघ’ की संज्ञा दी है। आयोग के समक्ष आने वाली निम्नलिखित चुनौतियों के कारण आयोग काफी कमजोर नजर आता है-
इस प्रकार, आयोग की शक्तियों को अनेक सीमाओं को देखते हुए इसे ‘दंतविहीन बाघ’ की संज्ञा देना उचित ही है। आयोग को सशक्त करने के लिये ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ को संशोधित कर इसमें संरचनात्मक और क्रियात्मक परिवर्तन किए जाने की आवश्यकता है।