लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय श्रम शक्ति के अधिकांश भाग के असंगठित क्षेत्र में नियोजित होने का प्रमुख कारण औपनिवेशिक काल के बाद से आज तक मौजूद सामाजिक-आर्थिक कारक हैं। स्पष्ट करें। अब तक क्या-क्या नीतिगत उपाय किये गए हैं जिनसे असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का कल्याण सुनिश्चित हो तथा उन्हें संगठित क्षेत्र में नियोजित किया जा सके।

    07 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    असंगठित श्रमिक ऐसे श्रमिक होते हैं जो घरेलू-श्रमिक (Home-based worker) अथवा स्वरोजगारी श्रमिक (Self - Employed Worker) अथवा असंगठित क्षेत्र में वैतनिक श्रमिक (Wage Worker) अथवा संगठित क्षेत्र के ऐसे श्रमिक होते हैं जिन्हें नियोक्ता द्वारा सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं प्राप्त होता। भारत में 90% से अधिक श्रमशक्ति असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित है-

    • औपनिवेशिक शासन के दौरान औद्योगीकरण का पैटर्न ऐसा था कि कच्चे माल का निर्यात और तैयार उत्पादों का आयात किया जाता था। इससे भारत में संगठित उद्योगों का विकास नहीं हो पाया।
    • स्वतंत्रता के पश्चात् देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान थी जिससे श्रमिकों की संख्या काफी कम थी। उद्यमशीलता कुछ समुदायों तक ही सीमित थी। अतः श्रम क्षेत्र का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया।
    • स्वतंत्रता के पश्चात् औद्योगीकरण के महालनोबिस मॉडल ने पूंजीगत उद्योगों पर ध्यान केंद्रित किया। अतः कृषि, हस्तशिल्प, हथकरघा जैसे छोटे और ग्रामीण उद्योग जो श्रम गहन उद्योग थे, उनका पर्याप्त विस्तार नहीं हुआ और वे असंगठित ही बने रहे।
    • विनिर्माण क्षेत्र का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया।
    • देश की श्रमशक्ति अकुशल है अतः विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में दक्षतापूर्ण कार्य नहीं कर सकती।

    नीतिगत उपायः

    • कृषि क्षेत्र के पश्चात् अंसगठित श्रमिकों का सर्वाधिक नियोजन निर्माण से होता है। निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों की सुरक्षा,स्वास्थ्य और कल्याणकारी उपायों की विनियमित करने के उद्देश्य से ‘निर्माण, भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार का नियमन और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1996’ लागू किया गया।
    • असंगठित श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण हेतु ‘सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008’ लागू किया गया था। इनके लिये 2008 में ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना’ प्रारंभ की गई थी।
    • अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों को विनियमित करने के लिये ‘अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिक (रोजगार का नियमन और सेवा शर्तें) अधिनियम, 1979’ लागू किया गया जिसमें प्रवासी श्रमिकों को स्थानीय श्रमिकों के समान वेतन, चिकित्सा सुविधा, रोजगार स्थल पर आवास का प्रबंध आदि का प्रावधान किया गया है।
    • असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा कवर देने के लिये अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी स्कीमें प्रारंभ की गईं हैं।
    • प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के तहत सरकार ने ‘कर्मचारी भविष्य निधि’ (EPF) की व्यवस्था की।
    • सरकार ने ‘स्किल इंडिया मिशन’ के अंतर्गत कौशल विकास कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रही है।
    • ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ आदि नवोन्मेषी कदमों के द्वारा रोजगार सृजन की संभावना भी बढ़ी है। इसी प्रकार स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मुद्रा, अटल इनोवेशन मिशन आदि के माध्यम से अधिक रोजगार सृजन की उम्मीद है।

    इस प्रकार, अंसगठित श्रमिकों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ चलाकर उन्हें अधिकाधिक संगठित क्षेत्र में नियोजित कर इन श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित किया जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2