वैश्विक तापन का एक प्रभाव महासागरीय तापन है जिसके परिणामस्वरूप मौसम की स्थितियों में परिवर्तन तथा विभिन्न जलवायविक पर्यावरणीय एवं आर्थिक-सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होंगी। ऐसी संभावित समस्याओं का बिंदुवार वर्णन करें।
उत्तर :
जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले वैश्विक तापन के द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त उष्मा का 90% से अधिक भाग महासागरों ने अवशोषित कर जमीन पर होने वाली उष्णता को कम करने का कार्य किया है। लेकिन, इसके परिणामस्वरूप महासागरों के तापमान में वृद्धि होने लगी है, जिसके निम्नलिखित गंभीर परिणाम हो सकते हैं-
- महासागरीय तापन के परिणामस्वरूप मौसमी-प्रतिरूप में परिवर्तन आया है। पृथ्वी पर विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा प्रतिरूप में बदलाव आया है एवं एक तरफ मध्य-अक्षांश और मानसूनी क्षेत्रों में वर्षा में वृद्धि हुई है वहीं उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में वर्षा में कमी आई है।
- वर्षा प्रतिरूप में बदलाव का सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा जो खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेगा। चावल, दालों और मक्का की पैदावार कम होने की संभावना है। इसके अलावा, महासागरीय तापन से सागर तल के उत्थान के कारण तटीय क्षेत्र जलमग्न हो जाएंगे जिससे तटीय मैदानों पर खेती प्रभावित होगी।
- महासागरीय तापन के कारण उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में चक्रवातों की प्रबलता एवं बारंबारता में वृद्धि होगी क्योंकि गर्म सतह के कारण जल का वाष्पीकरण अधिक मात्रा में होगा। ये चक्रवात मानव जीवन, तटीय अवसंरचनाओं और महासागरीय पारिस्थितिकी को गंभीर रूप से प्रभावित करेंगे।
- महासागरीय तापन से मत्स्य पालन और जलीय कृषि से जुड़े उद्योग नकारात्मक रूप से प्रभावित होंगे। विश्व के अनेक क्षेत्रों में सागरीय भोजन मुख्य खाद्य स्रोत है, अतः उन क्षेत्रों के लोगों की खाद्य सुरक्षा प्रभावित होगा।
महासागरीय तापन का मूल कारण वैश्विक तापन है। अतः महासागरीय तापन से बचाव के लिये हमें पेरिस समझौते का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिये। त्वरित कार्रवाई और गहरी वैज्ञानिक समझ के आधार पर जोखिमों से निपटना होगा। हमें वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा धारणीय जीवन पद्धतियों के माध्यम से करनी चाहिये।