पशुपालन को बढ़ावा देकर ग्रामीण विकास को उल्लेखनीय गति दी जा सकती है। ग्रामीण विकास में पशुपालन के महत्त्व को स्पष्ट करते हुए सुझाव दें कि इस क्षेत्र को किस प्रकार बढ़ावा दिया जा सकता है?
उत्तर :
भारत कृषि प्रधान देश है और पशुपालन एक कृषि-संबद्ध क्रिया कलाप है। यह सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने, गरीबी निवारण, महिला सशक्तीकरण ओर ग्रामीण विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
भारत में ग्रामीण विकास में पशुपालन का महत्त्वः
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का प्रमुख आधार है। विशेषकर भूमिहीन और सीमांत किसान पशुपालन के माध्यम से अपनी परिवारिक आय बढ़ा सकते हैं।
- पशुपालन और कृषि आपस में जुड़ी हुई प्रक्रियाएँ हैं। पशुओं के लिये भोजन कृषि से प्राप्त होता है तो पशु भी कृषि को विभिन्न प्रकार की आगतें, जैसे-खाद्य, ढुलाई आदि प्रदान करते हैं।
- पशुपालन से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी तथा छिपी हुई बेराजगारी की समस्या का निवारण किया जा सकता है।
- पशुपालन में अधिकतर महिलाएँ संलग्न होती है। अतः यह श्रम क्षेत्र में महिला भागीदारी को बढ़ावा देकर महिला सशक्तीकरण में योगदान देता है।
- पशु उत्पाद ग्रामीण निर्धनों के लिये प्रोटीन एवं पोषक तत्त्वों के प्रमुख स्रोत हैं।
भारत में पशुपालन क्षेत्र में निम्न वृद्धि दर एवं कम उत्पादकता देखते हुए इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जाने की आवश्यकता है-
- पशुओं के नस्ल सुधार के लिये कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी अवसंरचनाओं को मजबूत करना चाहिये। कृत्रिम गर्भाधान से जुड़ी नवीन तकनीकों का प्रयोग करना चाहिये तथा इससे संबंधित मानव संसाधनों को प्रशिक्षित करना चाहिये।
- पशुओें के स्वास्थ्य सुधार के लिये उत्तम गुणवत्ता एवं पर्याप्त पोषक तत्त्वों से युक्त चारा, उनके टीकाकरण एवं संक्रमण के समय नैदानिक सुविधाओं की व्यवस्था करनी चाहिये।
- पशुपालन क्षेत्र के विकास के लिये इस क्षेत्र को पर्याप्त ऋण सुविधाएँ उपलब्ध करानी चाहिये।
- पशु उत्पादों के प्रसंस्करण, भंडारण, डेयरी तक पहुँच आदि को बढ़ावा देना चाहिये।
- बूचड़खानों का आधुनिकीकरण तथा इनकी कार्यप्रणाली का नियमन करना चाहिये।
भारत में पशुपालन के क्षेत्र में विकास की भरपूर संभावनाएँ हैं जिनका उपयुक्त तरीके से दोहन करने की आवश्यकता है। इसके लिये सहायक सेवाओं एवं प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के अंतर्गत निजी क्षेत्र की सहभागिता को बढ़ावा देना चाहिये।