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प्रश्न :
"भारत में विद्यमान जलवायवीय भौगोलिक-सामाजिक-आर्थिक विविधताएँ ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग’ के विकास कि लिये असीमित संभावनाएँ पैदा करती हैं।" स्पष्ट करें।
20 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
भारत विविधताओं से परिपूर्ण देश है। यहाँ विद्यमान अनेकानेक विविधताओं के कारण खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़े आपूर्ति एवं मांग पक्ष काफी मज़बूत हैं, जिससे इस उद्योग के विकास की भारी संभावनाएँ पैदा होती हैं। इसे निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-
- भारत के विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु में काफी विविधता है। अतः भारत में विभिन्न प्रकार के फलों, सब्ज़ियों व अन्य कृषि उत्पादों का व्यापक उत्पादन होता है। यहाँ उष्णकटिबंधीय फसलों से लेकर शीतोष्ण एवं शीत कटिबंध में होने वाली फसलें भी उपजाई जाती हैं।
- भारत में विविध प्रकार की मृदाएँ मिलती हैं जिससे कृषि में विविधिकरण पाया जाता है। साथ ही, भारत में खाद्यान्न उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिये कच्चा माल है।
- भारत में कृषि के साथ-साथ पशुपालन की भी संस्कृति रही है जिस कारण भारत वर्तमान में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर बना हुआ है।
- भारत लंबी समुद्री तट रेखा उपलब्ध होने के कारण मत्स्य उत्पादन के मामले में विश्व में द्वितीय स्थान पर है।
- भारत में जनसंख्या का उच्च स्तर मज़बूत मांग पैदा करता है। भारत में व्याप्त सामाजिक एवं सांस्कृतिक भिन्नता भी मांग में विविधताएँ उत्पन्न करती है।
- भारत में शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है तथा मध्यम वर्ग की जनसंख्या काफी अधिक है जिससे प्रसंस्कृत खाद्य की मांग में वृद्धि हो रही है।
- भारत में शिक्षा एवं साक्षरता का स्तर बढ़ रहा है तथा उदारीकरण के बाद पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव भी बढ़ा है जिससे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग में वृद्धि हो रही है।
- घरेलू मांग के साथ-साथ प्रसंस्कृत खाद्यों की वैश्विक मांग में भी बढ़ोतरी हो रही है, भारत इस अवसर का लाभ उठा सकता है।
इस प्रकार भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास की असीम संभावनाएँ हैं, जिनका लाभ उठाने के लिये इस क्षेत्र में निवेश, अवसंरचना विकास, अनुसंधान और विकास (R&D), कर छूट, तकनीकी सहायता, नवाचार आदि की दिशा में सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता है।
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