भारत में जैव विविधता में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जैव विविधता अधिनियम, 2002 इस गिरावट से संबंधित चिंताओं से पार पाने में विफल रहा है, स्पष्ट करें।
24 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाभारत जैव विविधता के मामले में अत्यंत संपन्न देश है। भारत विश्व का केवल 2.4% क्षेत्रफल कवर करता है, लेकिन यहाँ विश्व की जैव विविधता का 7% से अधिक हिस्सा मिलता है। वहीं, भारत में जैव विविधता संरक्षण के लिये पारित वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972; वन संरक्षण अधिनियम, 1930; जैव विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002 जैसे कानूनों के बावजूद जैव विविधता में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसा इन कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन न हो पाने के कारण हो रहा है। इस संबंध में निम्नलिखित तथ्यों से यह साबित होता है कि भारत में जैव विविधता में गिरावट आ रही है-
घास के मैदान, नदियाँ, झीलें, तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियाँ संकट में हैं, जिस कारण यहाँ की स्थानीय प्रजातियों पर भी संकट मंँडरा रहा है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, नदीय घड़ियाल जैसी प्रजातियाँ IUCN की क्रिटीकली इनडेंजर्ड (CE) की सूची में शामिल हैं।
जैव विविधता अधिनियम, 2002 के कमज़ोर कार्यान्वयन का प्रमाण यह है कि विभिन्न राज्यों में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई सूचनाओं से यह पता चला है कि केवल 14 प्रतिशत पंचायती राज संस्थाओं के पास ही पीपुल्स बायोडाइवर्सिटी रजिस्टर (PBRs) हैं। यह अधिनियम राज्यों पर यह बाध्यता आरोपित करता है कि वे जैव विविधता संरक्षण की दिशा में प्रभावी कदम उठाएँ, लेकिन अधिकांश राज्यों ने इस दिशा में समुचित कार्रवाई नहीं की एवं कोई संस्थागत तंत्र भी विकसित नहीं किया। हाल ही में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने राज्यों को उन शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये कहा था जो अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये न्यायाधिकरण के समक्ष दायर एक याचिका का जवाब देने में विफल रहे।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की कार्रवाई इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने की सही दिशा दिखाती है। साथ-ही-साथ स्थानीय समुदायों को जागरूक करना, पंचायतों में पीपुल्स बायोडाइवर्सिटी रजिस्टर के सृजन और उनके क्षमता निर्माण के लिये प्रभावी कदम उठाने चाहियें।