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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में विशाल समारोहों में अत्यधिक भीड़ के कारण किसी भी समय एक मानवजनित आपदा उत्पन्न हो सकती है, अतः इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिये दिशा-निर्देशों की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इन दिशा-निर्देशों का वर्णन करें।

    25 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भारत में विभिन्न समारोहों, धार्मिक आयोजनों, त्योहारों और मेलों के दौरान भारी भीड़ एकत्रित होती है, जिसे नियंत्रित करने के लिये दिशा-निर्देशों की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से महसूस की जा रही थी-

    समारोहों में अनिश्चितता की संभावनाएँ विद्यमान रहती हैं अतः वहाँ दुर्घटनाएँ घटित हो सकती हैं।

    क्षण भर में भीड़, भगदड़ में बदलकर एक मानवजनित आपदा बन सकती है जिससे जान-माल की भारी क्षति हो सकती है।

    भीड़ निराधार अफवाहों से प्रेरित हो सकती है। एक बार अस्थिर हुई भीड़ को शांत करना अत्यंत मुश्किल काम है।

    दशहरा के रामलीला समारोह के दौरान आग का खतरा अधिक हो जाता है। कृत्रिम पंडालों के गिरने तथा शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगने से भी भगदड़ मचने की संभावना रहती है।

    राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के दिशा-निर्देश-

    मुक्त आवागमन- समारोह स्थलों, दशहरा मैदानों, पंडालों आदि के आसपास के क्षेत्रों में यातायात को नियंत्रित करना चाहिये। महत्त्वपूर्ण स्थलों पर आपातकालीन निकास मार्गों तक पहुँचने के लिये रोड़ मैप लगाया जाना चाहिये। लोगों की कतार में आवाजाही सुनिश्चित करने तथा भगदड़ के अधिक विस्तृत रूप धारण करने से बचाने के लिये अवरोधक (barricade) लगाने चाहिये।

    निगरानी तथा व्यवस्था प्रबंधनः आवाजाही की निगरानी के लिये CCTV कैमरे लगाने चाहिये तथा छीनाझपटी और अन्य छोटे अपराधों का जोखिम कम करने के लिये पुलिस की उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिये। समारोह स्थल पर स्वयं सेवकों के माध्यम से व्यवस्था प्रबंधन किया जाना चाहिये।

    आपातकालीन सेवाएँ: किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये ऐसे स्थलों पर एंबुलेंस सेवाओं एवं अग्निशमन सेवाओं की व्यवस्था की जा सकती है।

    यदि भगदड़ मच जाए तो व्यक्ति की एक डॉक्टर को तरह सीने पर हाथ रखकर अपनी रक्षा करते हुए भीड़ की गति की दिशा में आगे बढ़ना चाहिये। जहाँ पर भीड़ हल्की होती जाए, वहाँ से बगल में स्थानांतरित होते जाना चाहिये। गिर जाएँ तो तुरंत उठ जाना चाहिये एवं यदि उठ नहीं सकते तो अपने सिर को हाथों से कवर करते हुए अपने-आप को भ्रूण की तरह संकुचित कर लेना चाहिये।

    आयोजकों को बिजली के अधिकृत प्रयोग, अग्निशमन यंत्रों और अन्य सुरक्षा निर्देशों को पूरा करने वाली व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिये तथा नज़दीकी अस्पतालों की एक सूची लगानी चाहिये।

    प्रत्येक हितधारक को आपदा जोखिम को कम करने के प्रयास करने चाहिये। दिशा-निर्देशों का पालन कर आपदा के जोखिमों को कम कर जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता है।

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