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प्रश्न :
मानव के प्रकृति पर प्रभुत्व एवं मानवीय गतिविधियों के व्यापक प्रभाव को देखते हुए वर्तमान युग को ‘एंथ्रोपोसीन युग’ के तौर पर आधिकारिक घोषणा की मांग की जाने लगी है। वर्तमान युग के ‘एंथ्रोपोसीन युग’ होने के पक्ष में प्रमाणों को सूचीबद्ध करते हुए इसे एक पृथक युग घोषित करने के मार्ग में आने वाली बाधाओं का उल्लेख करें।
26 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
केपटाउन में 35वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस के दौरान एक विशेषज्ञ समूह ने सिफारिश की है कि 20वीं शताब्दी के मध्य से नए युग एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) की आधिकारिक घोषणा की जाए। एंथ्रोपोसीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक पॉल क्रुतजन द्वारा वर्ष 2000 में किया गया। इस प्रस्ताव के अनुसार इस युग का प्रारंभ तब से माना जाना चाहिये जब मानव गतिविधियों ने पृथ्वी के भूविज्ञान एवं पारिस्थितिकी तंत्र पर महत्त्वपूर्ण एंव अनुत्क्रमणीय प्रभाव डालना प्रारंभ किया था।
एंथ्रोपोसीन के पक्ष में प्रभावः 1950 के दशक के बाद से मानव गतिविधियों ने पृथ्वी और वातावरण को स्थायी रूप से बदलना प्रारंभ कर दिया, जिसके पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण दिये जा सकते हैं-
- मानवीय गतिविधियों के कारण पृथ्वी की अनेक प्रजातियों की विलुप्त होने की दर में काफी तेजी आई है।
- मानवीय गतिविधियों के कारण 1950 के दशक के पश्चात् वायुमंडल में CO2 की मात्रा, सतही तापमान, समुद्री अम्लीकरण आदि में तीव्र वृद्धि दर्ज़ की गई है।
- मानव जनित गतिविधियों जैसे ईंधन के जलाये जाने से उत्पन्न ब्लैक कार्बन आदि के कारण तलछट और हिमनदों में वायुवाहित कणों की एक स्थायी परत बन गई है।
- उर्वरकों के अति उपयोग ने पिछली शताब्दी में मृदा में नाइट्रोजन और फस्फोरस की मात्रा को दो गुना कर दिया है, जो संभवतः पिछले 2.5 अरब वर्षों में नाइट्रोजन चक्र पर पड़ने वाला सबसे बड़ा प्रभाव है।
- महत्त्वपूर्ण भूवैज्ञानिक परिवर्तन, जो आमतौर पर हजारों वर्षों में होते हैं, पिछली आधी शताब्दी में घटित हुए हैं।
एंथ्रोपोसीन को पृथक युग के रूप में घोषित करने के मार्ग में बाधाएँ-
- यह समय का एक बहुत छोटा पैमाना है और किसी भी निर्णय तक पहुँचने के लिये इस तीव्र परिवर्तन के स्थित होने की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है।
- एंथ्रोपोसीन विभिन्न कारणों से पूर्ववर्ती भू-वैज्ञानिक इकाईयों से अलग है। अतः परंपरागत मानकों के आधार पर इसे युग घोषित नहीं किया जा सकता।
यद्यपि यह नाम घोषित करने के लिये तकनीकी प्रक्रिया का अनुसरण करना आवश्यक है, लेकिन यदि यह स्वीकार किया जाता है तो पृथ्वी के प्रबंधक के रूप में यह मानव पर उसके उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिये अवश्य दबाव डालेगा।
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