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प्रश्न :
भारत में महिला सशक्तीकरण के लिये जेंडर बजटिंग की आवश्यकता क्यों है? भारत में जेंडर बजटिंग की वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालें।
28 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
जेंडर बजटिंग अथवा जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग (Gender Responsive Budgeting) महिलाओं को विकास की मुख्य धारा में लाने का एक सशक्त उपकरण है। इसमें नीति-निर्माण और संसाधनों का आवंटन इस प्रकार किया जाता है, जिससे महिलाओं को भी विकास का लाभ पुरुषों के समान मिल सके।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिये जेंडर बजटिंग की आवश्यकता
- भारत में पितृसत्तात्मक मानसिकता के कारण महिलाओं को योजनाओं का पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाता है तथा वे लिंग आधारित प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के कारण पुरुषों की अपेक्षा कम लाभ प्राप्त कर पाती हैं।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक अवसरों जैसे अनेक मामलों एवं विविध सामाजिक संकेतकों में महिलाएँ पुरुषों से काफी पीछे हैं।
- विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी जेंडर गैप रिपोर्ट, 2016 में भारत का स्थान 87वाँ है, जो कि भारत में लैंगिक समानता की खराब स्थिति को दर्शाता है।
भारत में वर्ष 2005 में जेंडर बजटिंग को संस्थागत रूप दिया गया। वर्तमान में केंद्र के अलावा अनेक राज्यों ने भी इसे अपनाया है। वार्षिक बजट में एक जेंडर बजट जारी किया जाता है, जिसके दो भाग होते हैं-
1. महिला केंद्रित योजनाएँ (Pro Women Schemes) इन योजनाओं में महिलाओं के लिये कम- से- कम 30 प्रतिशत फंड आवंटित किया जाता है।
2. महिला विशिष्ट योजनाएँ (Women Specific Schemes) इनके अंतर्गत 100 प्रतिशत फंड महिलाओं के लिये आवंटित किया जाता है।महिला सशक्तीकरण के लिये जेंडर बजटिंग के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करना चाहिये कि प्रशासनिक क्षेत्र और नीति निर्माण में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी हो।
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