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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    तेल-गैस क्षेत्र में विलय के माध्यम से बड़े सरकारी उपक्रमों की स्थापना से देश के ऊर्जा-व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

    02 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    तेल तथा गैस के उत्पादन एवं विपणन के लिये एक वैश्विक स्तर की बड़ी कंपनी स्थापित करने के उद्देश्य से सरकार ने इस क्षेत्र के सरकारी उपक्रमों के क्रमिक विलय का निर्णय लिया है।

    • सरकार ने देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा तेल विक्रेता कंपनी एच.पी.सी.एल. की अपनी 51% हिस्सेदारी को देश की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी ओ.एन.जी.सी. को बेचने का फैसला लिया है।
    • वर्तमान में भारत कच्चे तेल की अपनी 80% मांग, एल.पी.जी. की 50% मांग तथा प्राकृतिक गैस की 35% ज़रूरत आयात से पूरी करता है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि अगले दो दशकों में आयात पर यह निर्भरता बढ़कर 90% तक पहुँच जाएगी।
    • इस स्थिति में संख्या में कम, परन्तु आकार में बड़ी तेल कम्पनियाँ होने का और उन्हें वित्तीय संसाधन तथा तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराने का बड़ा लाभ प्राप्त होगा। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ईंधन मूल्य में अनिश्चितता से निपटने तथा वैश्विक तेल सौदों के साथ-साथ देश के तेल क्षेत्रों की पूरी क्षमता तलाशने में भी मदद मिलेगी। एक बड़ी तेल कंपनी में अपने व्यापारिक भागीदारों से मोल-भाव करने की क्षमता कहीं बेहतर होगी।

    यह पाया गया है कि अधिकतर एशियाई देशों में एक ही तेल कंपनी होती है, जिसमें मूल्य श्रृंखला के सभी घटक शामिल होते हैं। वर्तमान में भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की 18 तेल कम्पनियाँ हैं। अतः बाधारहित एवं ऊर्जा- सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय तेल व्यापार हेतु तेल-गैस क्षेत्र के एक बड़े सार्वजनिक उपक्रम की स्थापना का यह कदम स्वागतयोग्य है। इससे सरकार द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों से विनिवेश के लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।

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