भारत में ग्रामीण-शहरी लिंकेज के विकास के समक्ष क्या बाधाएँ हैं? भारत में ग्रामीण-शहरी लिंकेज की संभावनाओं पर भी चर्चा करें ।
उत्तर :
भारत के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय रूप से अंतर्निर्भर हैं। अतः अर्थव्यवस्था के विकास में ग्रामीण-शहरी लिंकेज बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
भारत में ग्रामीण-शहरी लिंकेज के समक्ष चुनौतियाँ:-
- व्यक्तियों तथा वस्तुओं के ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में द्विपक्षीय प्रवाह में मुख्य बाधा परिवहन साधनों की अपर्याप्तता है। आज भी मानसून के समय कई गाँवों का संपर्क शहरों से टूट जाता है व दैनिक उपभोग की वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो जाती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में संचार व बिजली की सुविधाओं का अभाव भी ग्रामीण-शहरी लिंकेज के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। बिना बिजली व इंटरनेट के गाँव में उद्यम का विकास संभव नहीं है।
- ग्रामीणों के शिक्षा स्तर में कमी के कारण उनके कौशल विस्तार में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे वे शहरी क्षेत्रों के रोज़गार के लिये अयोग्य हो जाते हैं।
- ग्रामों में निजी निवेश का अभाव भी ग्रामीण-शहरी लिंकेज के समक्ष एक चुनौती है। ग्रामीण कृषि भूमि तथा संपत्तियों से संबंधित जानकारी का अभाव तथा ग्रामीणों का भी शहरी संपत्तियों से अनभिज्ञ रहना, दोनों क्षेत्रों में निवेश को बाधित करता है।
भारत में ग्रामीण-शहरी लिंकेज की संभावनाएँ:-
- कृषि में विविधीकरण के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ फलों, सब्जियों व नकदी फसलों के उत्पादन की संभावनाओं को बढ़ाकर शहरी क्षेत्र के उद्यमियों को ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश हेतु आकर्षित किया जा सकता है।
- कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण यदि ग्रामीण क्षेत्रों मे किया जाए तो इन क्षेत्रों का विकास संभव हो सकेगा। इससे ग्रामीण क्षेत्र न केवल शहरी बाज़ारों से, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से भी जुड़ सकेंगे।
- व्यावसायिक शिक्षा द्वारा ग्रामीण युवाओं के कौशल विस्तार से उन्हें शहरी रोज़गारों के योग्य बनाया जा सकता है।
- ग्रामीण भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति व जड़ी-बूटियों का ज्ञान, ग्रामीण-शहरी लिंकेज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत जनजातियों की लोक परंपराओं, लोक नृत्य व संगीत जनजातीय पर्यटन के कारक हैं। पर्यावरणीय व जनजातीय पर्यटन के माध्यम से भी ग्रामीण-शहरी लिंकेज बढाया जा सकता है।
भारत को विकसित अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने का स्वप्न तभी साकार होगा जब भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रामीण तथा शहरी विकास दोनों को समान महत्त्व दिया जाए तथा एक क्षेत्र का विकास, दूसरे क्षेत्र की सहायता से किया जाए।