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प्रश्न :
मेक इन इंडिया अभियान के अब तक के प्रदर्शन की समीक्षा करें। इसे और प्रभावी बनाने के उपाय भी सुझाएँ।
19 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
भारत सरकार ने रक्षा, खाद्य- प्रसंस्करण समेत लगभग 25 क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2014 में मेक इन इंडिया अभियान की शुरुआत की थी। भारत को वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाने के साथ-साथ इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को रोज़गार और स्वरोज़गार के मौके उपलब्ध कराना भी है।
मेक इन इंडिया का अब तक का प्रदर्शन-
- भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और यह वृद्धि तब हुई है जब वैश्विक FDI की दर में गिरावट का दौर रहा है।
- लाइसेंसिंग, सुरक्षा और पर्यावरण मंज़ूरी जैसी प्रक्रियाओं को सरल बनाकर व्यापार करने की सुगमता (ease of doing business) सूचकांक में भारत ने अपनी स्थिति में सुधार किया है।
- रक्षा क्षेत्र तथा इलेक्ट्रॉनिक डिज़ाइन और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरुप इन क्षेत्रों में आयात निर्भरता में कमी आई है।
- इस अभियान ने कपड़ा, फुटवियर और चमड़ा उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान की है।
अभियान से जुड़ी कुछ नकारात्मक प्रवृत्तियाँ-
- कृषि पर आधारित जनसंख्या में कोई विशेष कमी नहीं हुई है। इसका अर्थ है कि एक बड़ा श्रम बल अब तक विनिर्माण प्रक्रियाओं से नहीं जुड़ पाया है।
- श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में रोज़गार सृजन की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है।
- GDP में सेवा क्षेत्र का योगदान अब भी 50% से अधिक है। विनिर्माण क्षेत्र अब भी काफी पीछे है।
- औद्योगिक उत्पादन की दर पिछले कुछ महीनों से लगातार गिर रही है।
मेक इन इंडिया को और प्रभावी बनाने के लिये सुझाव –
- श्रम कानूनों में और भी कई बदलाव करने की आवश्यकता है ।
- मेक इन इंडिया की सफलता स्किल इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसे अभियानों की सफलता से जुड़ी है। विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनने के लिये भारत को अपनी कौशल क्षमता में विकास करना होगा।
- देश में पर्याप्त संख्या में वाणिज्यिक अदालतों की स्थापना की जानी चाहिये, ताकि व्यापार से जुड़े कानूनी विवादों का निपटारा जल्द किया जा सके।
- पूंजी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये बैंकों की NPA की समस्या को जल्द ही सुलझाना होगा।
- कारोबार करना आसान बनाने में ई-गवर्नेंस की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। केंद्र और राज्यों में इसके माध्यम से सिंगल विंडो सिस्टम शुरू करने के साथ-साथ भूमि-आवंटन में भी तेज़ी लानी होगी।
मेक इन इंडिया अभियान की सफलता के लिये प्रयासों और सुधारों की एक लंबी शृंखला है। इसके लिये राज्यों को भी केंद्र की तरह प्रतिबद्धता दिखानी होगी, तब जाकर भारत को विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने का स्वप्न पूरा हो पाएगा।
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