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प्रश्न :
एक बड़ी धनराशि खर्च करने के बाद भी गंगा सफाई की “नमामि गंगे” परियोजना कोई उल्लेखनीय परिणाम नहीं दे पाई है। इसके कारणों पर चर्चा करें।
22 Aug, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
केंद्र सरकार की उच्च प्राथमिकता वाली नमामि गंगे परियोजना पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने कहा कि पिछले दो सालों में लगभग 7000 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं, परंतु नदी की गुणवत्ता में जरा-सा भी सुधार दिखाई नहीं दिया है, बल्कि इतने खर्च और ध्यान देने के बावजूद नदी अब और अधिक प्रदूषित हो गई है।
नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के घाटों के आधुनिकीकरण का भी प्रावधान है, परंतु देखरेख के अभाव में स्थिति यह है कि बारिश के समय घाटों पर पड़ी निर्माण सामग्री नदी में बहकर जा रही है। यह सामग्री धीरे-धीरे नदी तल में जम जाती है, जिससे नदी उथली होकर बाढ़ का कारण बनती है।
नमामि गंगे परियोजना निम्नलिखित कारणों से अब तक अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई है –
- जन भागीदारी का अभाव- किसी भी सरकारी योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि जनता की उसमें कितनी भागीदारी है। नमामि गंगे परियोजना ने पूरी तरह से सरकारी तंत्र पर आधारित योजना का रूप ले लिया है।
- समन्वय की कमी – गंगा देश के 5 राज्यों से होकर बहती है, इसलिये नमामि गंगे की सफलता इन 5 राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय पर निर्भर करती है। अब तक 5 में से केवल एक राज्य में केंद्र सरकार से संबंधित दल की सरकार थी, बाकी के चार राज्य राजनीतिक विरोध के चलते इस परियोजना में कोई रुचि नहीं दिखा रहे थे। परंतु अब स्थिति में परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि गंगा के मार्ग के ऊपरी चार राज्यों में केंद्र सरकार से संबंधित दल की ही सरकार है।
- राष्ट्रीय नेतृत्व की रुचि में कमी- समय बीतने के साथ राष्ट्रीय नेतृत्व की रुचि में भी कमी दिखाई पड़ती है। गंगा सफाई के लिये बनी सबसे महत्त्वपूर्ण सरकारी इकाई “गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण” की 3 अहम बैठकों में से मात्र 1 बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की गई।
- परियोजना के प्रशासनिक नेतृत्व में बार-बार बदलाव – मात्र दो साल के समय में परियोजना के छह निदेशक बदल दिये गए हैं। किसी योजना के निदेशक की कार्यावधि का उस योजना के क्रियान्वयन पर प्रभाव पड़ता है।
- परियोजना का कार्यान्वयन कई स्तरों पर चल रहा है। किसी स्तर पर परियोजना की गति ठीक, तो किसी स्तर पर कार्य भी शुरू नहीं हुआ है।
गंगा सफाई एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है। नमामि गंगे को सफल बनाने के लिये इस परियोजना को एक सामुदायिक योजना का रूप देना होगा, ताकि लोग इससे जुड़ाव महसूस कर सकें। साथ ही शीर्ष नेतृत्व की रुचि इस योजना के सही क्रियान्वयन के लिये बहुत ज़रूरी है। राज्य सरकारों को भी NGT के आदेशों का पालन गंभीरता से करना चाहिये। इन समग्र प्रयासों के बल पर ही हम गंगा को स्वच्छ और निर्मल बना पाएंगे।
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