भारत में यूरिया उत्पादन की क्या स्थिति है? इसकी कमी से निपटने के लिये भारत सरकार ने क्या कदम उठाए हैं ?
उत्तर :
यूरिया, भारतीय कृषि का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। खेतों में नाइट्रोजन की आपूर्ति मुख्य रूप से यूरिया द्वारा की जाती है। इसमें 46% नाइट्रोजन होती है जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। भंडारण, परिवहन और उपयोग की दृष्टि से आसान होने के कारण यूरिया न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे लोकप्रिय नाइट्रोजन युक्त उर्वरक है।
भारत अपनी आवश्यकता के 310 लाख मीट्रिक टन यूरिया में से लगभग 80 लाख मीट्रिक टन यूरिया का आयात करता है। भारत विश्व में यूरिया का सबसे बड़ा आयातक देश है। भारत का घरेलू यूरिया उत्पादन, मांग की तुलना में कम होने के संभावित कारण निम्नलिखित हैं –
- यूरिया उत्पादन के लिये सर्वाधिक ज़रूरी अवयव प्राकृतिक गैस है। भारत का घरेलू प्राकृतिक गैस उत्पादन कम है।
- यूरिया क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक निवेश की कमी के चलते नए यूरिया संयंत्र शुरू करने में बाधा आ रही है।
- घरेलू स्तर पर प्राकृतिक गैस की कीमत में विवाद होने के चलते कृष्णा-गोदावरी बेसिन से प्राप्त होने वाली गैस का उपयोग भी यूरिया उत्पादन के लिये नहीं हो पाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में गैस की लगातार बदलती कीमतों के कारण भारत गैस-आयात पर आधारित यूरिया का घरेलू उत्पादन शुरू नहीं कर पाता।
सरकार यूरिया की सीमित उपलब्धता के चलते इसे विनियमित करने के विभिन्न प्रयास कर रही है-
- यूरिया की खपत को कम करने और रसायन क्षेत्र में यूरिया की अवैध बिक्री को रोकने के लिये सरकार ने घरेलू यूरिया उत्पादन का 75% नीम-लेपित यूरिया उत्पादित करना अनिवार्य कर दिया है। सामान्य यूरिया की तुलना में नीम-लेपित यूरिया से भूमिगत जल का प्रदूषण कम होता है।
- उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने के लिये सरकार ने कुछ राज्यों में इसे मिट्टी के पोषण आधारित सब्सिडी में परिवर्तित कर दिया है।
- यूरिया की देश के विभिन्न भागों में समय पर पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये सरकार हर महीने यूरिया आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये दिशा-निर्देश जारी करती रहती है।
- सरकार ने 26 लाख टन यूरिया का अतिरिक्त उत्पादन करने के लिये बिहार के बरौनी और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बंद यूरिया इकाइयों को पुनर्जीवित करने का काम शुरू कर दिया है।
- प्राकृतिक गैस उत्पादक राष्ट्र जैसे ईरान के चाबहार में भारत यूरिया उत्पादन इकाई स्थापित करने की संभावनाएँ खोज रहा है, ताकि गैस के परिवहन का खर्च बचाकर उसे वहीं यूरिया उत्पादन हेतु इस्तेमाल किया जाए।
सरकार कृषि विस्तार सेवाओं और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना आदि के माध्यम से यूरिया के उपभोग को तर्कसंगत बनाने का प्रयास कर रही है। उर्वरक मंत्रालय द्वारा यूरिया उत्पादकों से संपर्क कर उनकी समस्याओं को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं। सरकार की पूरी कोशिश है कि यूरिया का घरेलू उत्पादन बढ़े और और कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिये किसानों को सही समय और उचित कीमत पर यूरिया व अन्य उर्वरक उपलब्ध होते रहे।