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प्रश्न :
‘साहस एवं विनम्रता अहिंसा की पूर्वापेक्षा है, जबकि कायरता अहिंसा का शत्रु।’कथन के संदर्भ में गांधी की अहिंसा की अवधारणा को स्पष्ट करें।
05 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
भूमिका में:
नव्यवेदांती तथा औपनिषदिक चिंतन परंपरा में ‘ईशावास्यमिंद सर्वं’(ईश्वर ही सब कुछ है) को मानने वाले महात्मा गांधी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ बताएँ।विषय-वस्तु में:
कथन के संदर्भ में ‘अहिंसा’की गांधीवादी अवधारणा-- गांधी जी अहिंसा को राजनीतिक अस्त्र न मानकर नैतिक जीवन जीने का माध्यम मानते हैं इसीलिये उन्होंने ‘अहिंसा’के व्यवहार के लिये सत्यता, निर्भयता तथा आत्म-निर्मलीकरण (प्रेम, दया, विनम्रता आदि मानवीय मूल्यों की उपस्थिति) को आवश्यक माना है।
- नव्यवेदांती गांधी प्रकृति के कण-कण में ईश्वर की उपस्थिति को मानते हैं तथा कहते हैं कि मानव को सिर्फ ईश्वर से डरना चाहिये और किसी से नहीं। यही भाव ‘अहिंसा’के लिये आंतरिक ताकत एवं साहस देता है जिससे हिंसा, युद्ध और अन्याय के विरुद्ध लड़ा जा सकता है। इस तरह ‘अहिंसा’अन्याय के विरुद्ध एक नैतिक हथियार बनती है।
- चूँकि ‘अहिंसा’ ईश्वरीय प्रेम एवं विश्वास से उत्पन्न होती है तथा गांधी संपूर्ण प्रकृति को ईश्वर की अभिव्यक्ति मानकर उसके प्रति प्रेम, दया, विनम्रता, बंधुत्व तथा सहानुभूति का भाव रखते हैं। इसीलिये, गांधी के यहाँ अहिंसा हेतु विनम्रता आवश्यक है किंतु ‘प्रतिशोध’(बदले की भावना) के लिये कोई जगह नहीं।
किंतु, गांधी जी ‘अहिंसा’को ‘कायरता’या ‘कमज़ोरी’से अलग बताते हैं तथा कहते हैं कि ‘अगर हिंसा एवं कायरता में से किसी एक को ही चुनना हो तो हिंसा चुनना बेहतर है।’ इसके पीछे तर्क देते हैं कि-
- अहिंसा, कायरता नहीं है क्योंकि अहिंसा, आध्यात्मिक व नैतिक बल से उत्पन्न होती है जबकि कायरता विवशता या दुर्बलता से।
- ‘अहिंसा’क्रियाशीलता का पथ है, जबकि ‘कायरता’क्रियाहीनता का।
निष्कर्ष:
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त निष्कर्ष लिखें।To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
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