ई-कचरा क्या है? पर्यावरण पर इसके प्रभावों को स्पष्ट करते हुए ई-कचरा प्रबंधन संशोधन नियम के प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा करें।
उत्तर :
भूमिका में :-
इलेक्ट्रॉनिक कचरे को स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रारंभ करें।
विषय-वस्तु में :-
भूमिका से लिंक रखते हुए पर्यावरण पर इलेक्ट्रॉनिक कचरे के प्रभावों को स्पष्ट करें, जैसे :
- ई-कचरे में शामिल विषैले तत्त्व तथा उनके निस्तारण के असुरक्षित तौर-तरीकों से मानव स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और तरह-तरह की बीमारियाँ होती हैं।
- माना जाता है कि एक कंप्यूटर के निर्माण में 51 प्रकार के ऐसे संघटक होते हैं, जिन्हें ज़हरीला माना जा सकता है और जो पर्यावरण तथा मानव स्वास्थ्य के लिये घातक होते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को बनाने में काम आने वाली सामग्रियों में ज़्यादातर कैडमियम, निकेल, क्रोमियम, एंटीमोनी, आर्सेनिक, बेरिलियम और पारे का इस्तेमाल किया जाता है। ये सभी पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिये घातक हैं।
ई-कचरा प्रबंधन नियम की संक्षेप में चर्चा करते हुए संशोधित नियम के प्रमुख प्रावधानों को लिखें, जैसे :
- 22 मार्च, 2018 को अधिसूचना जीएसआर 261 (ई) के तहत ई-वेस्ट प्रबंधन नियम 2016 को संशोधित किया गया है।
- ई-कचरा संग्रहण के नए निधार्रित लक्ष्य 1 अक्तूबर, 2017 से प्रभावी माने जाएंगे। विभिन्न चरणों में ई-कचरे का संग्रहण लक्ष्य 2017-18 के दौरान उत्पन्न किये गए कचरे के वज़न का 10 फीसदी होगा जो 2023 तक प्रतिवर्ष 10 फीसदी के हिसाब से बढ़ता जाएगा। वर्ष 2023 के बाद यह लक्ष्य कुल उत्पन्न कचरे का 70 फीसदी हो जाएगा।
- उत्पादों की औसत आयु समय-समय पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी।
- हानिकारक पदार्थों से संबधित व्यवस्थाओं में आरओएच के तहत ऐसे उत्पादों की जाँच का खर्च सरकार वहन करेगी यदि उत्पाद आरओएच की व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं हुए तो उस हालत में जाँच का खर्च उत्पादक को वहन करना होगा।
- उत्पादक जवाबदेही संगठनों को नए नियमों के तहत कामकाज करने के लिये खुद को पंजीकृत कराने हेतु केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष आवेदन करना होगा।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
नोट : निर्धारित शब्द-सीमा में विश्लेषित करके लिखें।