नदियों से रेत-खनन के क्या नुकसान हैं? कृत्रिम रूप से तैयार की गई क्रश्ड सैंड (बारीक महीन रेत) , नदी की रेत की तुलना में कैसे एक उत्तम विकल्प है?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा –
- नदियों से होने वाले रेत-खनन से होने वाले नुकसानों का बिंदुवार उल्लेख करें।
- नदी की रेत की तुलना में क्रश्ड सैंड के लाभ लिखें।
- निष्कर्ष
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राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने काफी पहले ही देश की किसी भी नदी से लाइसेंस या पर्यावरण मंज़ूरी के बिना रेत के खनन पर रोक लगा दी थी, परंतु नदियों में अब भी अवैध रेत-खनन जारी है।
नदियों में रेत-खनन से होने वाले नुकसान-
- रेत खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होता है तथा इससे नदियों की खाद्य-श्रृंखला नष्ट होती है। रेत के खनन में इस्तेमाल होने वाले सैंड-पंपों के कारण नदी की जैव-विविधता पर भी असर पड़ता है।
- रेत-खनन से नदियों का प्रवाह-पथ प्रभावित होता है। इससे भू-कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है।
- नदियों में रेत-खनन से निकटवर्ती क्षेत्रों का भू-जल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है। साथ ही भू-जल प्रदूषित होता है।
- प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने में रेत की बड़ी भूमिका होती है। रेत खनन के कारण नदियों की स्वतः जल को साफ कर सकने की क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
- अवैध रेत खनन से सरकारी खज़ाने को प्रतिवर्ष हज़ारों करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
विभिन्न चट्टानों, खदानों के पत्थरों को मशीनों की मदद से बारीक तोड़कर क्रश्ड सैंड बनाई जाती है। नदी की रेत की तुलना में क्रश्ड सैंड के निम्नलिखित फायदे हैं –
- क्रश्ड सैंड में नमी नहीं होती है, जबकि नदी की रेत में नमी होती है जो कंक्रीट की मिक्स डिज़ाईन के मानक और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करती है।
- क्रश्ड सैंड कंक्रीट को उच्च स्थायित्व और शक्ति प्रदान करती है। क्रश्ड सैंड की संकुचन शक्ति (compressive strength) अधिक होती है।
- क्रश्ड सैंड में सिल्ट नहीं होता, जबकि नदी की रेत में सिल्ट पाया जाता है, जिसे वॉशिंग की ज़रूरत होती है।
- कृत्रिम रूप से नियंत्रित परिस्थितियों में तैयार किये जाने के कारण क्रश्ड सैंड में सभी समान आकार के कण होते हैं, जबकि नदी की रेत में असमान आकार के कण होते हैं, जिन्हें पृथक करना पड़ता है।
- यदि क्रश्ड सैंड निर्माण के लिये पर्याप्त मात्रा में प्लांट स्थापित कर दिये जाएँ तो यह नदी की रेत की अपेक्षा सस्ता विकल्प है।
उपरोक्त कारणों से स्पष्ट है कि नदी की रेत की अपेक्षा क्रश्ड सैंड तुलनात्मक रूप से सस्ती और अधिक मज़बूती देती है। केरल व तमिलनाडु जैसे राज्यों ने नदियों से रेत-खनन को पूरी तरह प्रतिबंधित कर निर्माण कार्यों में क्रश्ड सैंड का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है। नदियों में रेत-खनन से होने वाली पर्यावरणीय क्षति का यही एक स्थायी विकल्प है।