सरकार मार्च 2018 में नई दूरसंचार नीति प्रस्तुत करने जा रही है। वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र में विद्यमान विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित नई नीति की सफलता के लिये अपने सुझाव दीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा –
- भारतीय दूरसंचार क्षेत्र की वर्तमान स्थिति का संक्षिप्त विवरण दें।
- नई दूरसंचार नीति के लिये सुझाव प्रस्तुत करें।
- निष्कर्ष
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पिछले कुछ समय से दूरसंचार क्षेत्र का प्रदर्शन खराब होता जा रहा है। असीम संभावनाओं से भरा भारतीय दूरसंचार क्षेत्र वर्तमान में कई प्रकार की विसंगतियों से जूझ रहा है। इसमें सुधार के लिये सरकार ने प्रयास आरंभ कर दिये हैं और एक नई दूरसंचार नीति का मसौदा तैयार करने का काम शुरू किया जा चुका है।
नई दूरसंचार नीति को सफल बनाने के लिये कुछ महत्त्वपूर्ण सुझाव निम्नलिखित हैं-
- दूरसंचार क्षेत्र में व्यापार करने की सुगमता (ease of doing business) स्थापित करने के लिये नई नीति में विशेष प्रावधान किये जाने चाहिये।
- नई दूरसंचार नीति में विभिन्न प्रावधानों का समावेश ज़मीनी हकीकत के आधार पर होना चाहिये , न कि अकादमिक आधार पर।
- उपलब्ध नेटवर्क का अधिकतम इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाना चाहिये। इसके लिये बड़े बैंड में कम लागत में अधिक स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
- दूरसंचार क्षेत्र में वित्त की कमी को दूर करने के लिये विशेष प्रयास किये जाने चाहिये। हालाँकि इस ओर अंतर्मंत्रालयीन समिति ने कुछ कदम उठाए हैं, परंतु ये नाकाफी हैं। असंतुलित होते दूरसंचार क्षेत्र के लिये बड़े निवेश की तत्काल आवश्यकता है।
- सरकार “एक राष्ट्र-एक लाइसेंस” की नीति पर भी विचार कर रही है, परंतु यह भी ध्यान रखा जाना चाहिये कि इसका उल्लेख 2012 की दूरसंचार नीति में भी था, लेकिन यह वास्तविकता में लागू नहीं हो पाई थी।
- नई नीति में कंपनियों के उचित लाभ की दर को सुनिश्चित करने वाले प्रावधान शामिल किये जाने चाहिये क्योंकि दूरसंचार क्षेत्र 4.6 लाख करोड़ के उच्च ब्याज दर वाले कर्ज़ में डूबा हुआ है।
- प्रतिस्पर्द्धा विरोधी विसंगतियों से बचने के लिये आवश्यक प्रावधानों को शामिल किया जाना चाहिये। उदाहरण के लिये रिलायंस जिओ के बाज़ार में प्रवेश करते ही, अन्य सेवा प्रदाताओं के राजस्व में गिरावट देखने को मिली, इसके चलते सरकार को भी कुछ शुल्कों में कमी करनी पड़ी, जिससे सरकार का राजस्व भी प्रभावित हुआ।
- नई नीति में दूरसंचार नियामक प्राधिकरण(ट्राई) की कुछ अनुशंसाओं को भी शामिल किया जा सकता है, जैसे- स्पेक्ट्रम व लाइसेंस शुल्क में कमी करना, यूनिवर्सल सर्विसेज ऑब्लिगेशन फंड में योगदान को कम करना, स्पेक्ट्रम के लिये भुगतान की अवधि को 10 साल की बजाए 20 साल करना आदि।
विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति के लिये संचार आज सबसे अहम है। संचार क्षेत्र के लिये एक व्यवस्थित बाज़ार और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा वाले माहौल की आवश्यकता है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार उपभोक्ता बाज़ार है और इसमें दुनिया का सबसे सफलतम दूरसंचार बाज़ार बनने की क्षमता है। सरकार को नई दूरसंचार नीति के निर्माण में दूरदर्शिता और दृढ़ इच्छाशक्ति दिखलाने की आवश्यकता है, तभी एक मज़बूत और कारगर भारतीय दूरसंचार ढाँचे का निर्माण हो सकेगा।