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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कृषि वानिकी से आप क्या समझते हैं ? इससे प्राप्त होने वाले लाभ कौन-से हैं? क्या कृषि वानिकी पूर्णतः दोषमुक्त है ? परीक्षण करें।

    19 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • कृषि वानिकी की परिभाषा तथा उसका भारत में वर्तमान स्वरूप लिखें।
    • कृषि वानिकी के लाभों को बिंदुवार लिखें।
    • इसके दोषपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालें।

    कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी का महत्त्वपूर्ण भाग है। इसके अंतर्गत किसान खेतों में फसल उगाने के साथ-साथ पेड़, चारा पैदा करने वाले पौधे, घास व फलीदार फसलें भी उगाते हैं। कृषि वानिकी में पेड़ों को फसल की श्रेणी में ही रखा जाता है। इसके अंतर्गत पेड़ों को खेतों की मेड़ों पर, बांधों पर, जलाक्रांत क्षेत्रों में, सड़कों के किनारे चारा मैदानों पर उगाया जाता है। 

    भारत में कृषि वानिकी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल व पंजाब में काफी लोकप्रिय है। इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से यूकेलिप्टिस और पोपलर के पेड़ उगाए जाते हैं। 

    कृषि वानिकी के लाभ-

    • इसके अंतर्गत उगाए पेड़ों से ईंधन और इमारती लकड़ी व चारा प्राप्त होता है। 
    • कृषि वानिकी के विकास से नए रोज़गार उत्पन्न होते हैं।
    • इससे भूमि का अधिकाधिक लाभदायक उपयोग सुनिश्चित होता है।
    • कृषि वानिकी में गैर-कृषिगत भूमि पर पेड़ आदि उगाकर मृदा को जल और वायु से होने वाले अपरदन से बचाया जा सकता है।
    • इससे कृषकों की आय में वृद्धि होती है।
    • कृषि वानिकी मृदा की आर्द्रता को संरक्षित रखने में सहायता करती है। 

    उत्तर की रूपरेखा-

    • कृषि वानिकी की परिभाषा तथा उसका भारत में वर्तमान स्वरूप लिखें।
    • कृषि वानिकी के लाभों को बिंदुवार लिखें।
    • इसके दोषपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालें।

    कृषि वानिकी, सामाजिक वानिकी का महत्त्वपूर्ण भाग है। इसके अंतर्गत किसान खेतों में फसल उगाने के साथ-साथ पेड़, चारा पैदा करने वाले पौधे, घास व फलीदार फसलें भी उगाते हैं। कृषि वानिकी में पेड़ों को फसल की श्रेणी में ही रखा जाता है। इसके अंतर्गत पेड़ों को खेतों की मेड़ों पर, बांधों पर, जलाक्रांत क्षेत्रों में, सड़कों के किनारे चारा मैदानों पर उगाया जाता है। 

    भारत में कृषि वानिकी राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल व पंजाब में काफी लोकप्रिय है। इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से यूकेलिप्टिस और पोपलर के पेड़ उगाए जाते हैं। 

    कृषि वानिकी के लाभ-

    • इसके अंतर्गत उगाए पेड़ों से ईंधन और इमारती लकड़ी व चारा प्राप्त होता है। 
    • कृषि वानिकी के विकास से नए रोज़गार उत्पन्न होते हैं।
    • इससे भूमि का अधिकाधिक लाभदायक उपयोग सुनिश्चित होता है।
    • कृषि वानिकी में गैर-कृषिगत भूमि पर पेड़ आदि उगाकर मृदा को जल और वायु से होने वाले अपरदन से बचाया जा सकता है।
    • इससे कृषकों की आय में वृद्धि होती है।
    • कृषि वानिकी मृदा की आर्द्रता को संरक्षित रखने में सहायता करती है। 

    कृषि वानिकी के इतने लाभों के बावजूद इसके कुछ दोषपूर्ण पहलु भी हैं, जो निम्नलिखित हैं –

    • कृषि वानिकी में मुख्यतः यूकेलिप्टिस और पोपलर जैसे पेड़ लगाने से उन क्षेत्रों में पारिस्थितिक तंत्र को काफी हानि पहुँचती है।  
    • विजातीय पेड़ों के रोपण से भूजल का बड़े पैमाने पर ह्रास होता है। ये पेड़ अपनी लंबी और दूर तक फैली हुई जड़ों द्वारा बड़ी मात्रा में भूमि से जल का अवशोषण कर लेते हैं। पंजाब तथा हरियाणा में बड़े पैमाने पर यूकेलिप्टिस के पेड़ों को उगाने से इस क्षेत्र में भूजल की व्यापक हानि हुई है।
    • कृषि वानिकी में लकड़ी तथा चारा प्रदान करने वाले पेड़ों की अनदेखी की जाती है।
    • कृषि वानिकी का अधिक लाभ बड़े ज़मींदारों को ही मिला है और छोटे तथा सीमांत किसान इससे प्रायः वंचित रह गए। 

    इस प्रकार कृषि वानिकी किसानों की आय बढ़ाने और मृदा के संरक्षण का एक कारगर उपाय है, साथ ही इसके कुछ पर्यावरणीय प्रतिकूल प्रभाव भी हैं।

    • कृषि वानिकी में मुख्यतः यूकेलिप्टिस और पोपलर जैसे पेड़ लगाने से उन क्षेत्रों में पारिस्थितिक तंत्र को काफी हानि पहुँचती है।  
    • विजातीय पेड़ों के रोपण से भूजल का बड़े पैमाने पर ह्रास होता है। ये पेड़ अपनी लंबी और दूर तक फैली हुई जड़ों द्वारा बड़ी मात्रा में भूमि से जल का अवशोषण कर लेते हैं। पंजाब तथा हरियाणा में बड़े पैमाने पर यूकेलिप्टिस के पेड़ों को उगाने से इस क्षेत्र में भूजल की व्यापक हानि हुई है।
    • कृषि वानिकी में लकड़ी तथा चारा प्रदान करने वाले पेड़ों की अनदेखी की जाती है।
    • कृषि वानिकी का अधिक लाभ बड़े ज़मींदारों को ही मिला है और छोटे तथा सीमांत किसान इससे प्रायः वंचित रह गए। 

    इस प्रकार कृषि वानिकी किसानों की आय बढ़ाने और मृदा के संरक्षण का एक कारगर उपाय है, साथ ही इसके कुछ पर्यावरणीय प्रतिकूल प्रभाव भी हैं।

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