हाइपरलूप परिवहन तकनीक क्या है? यह किस सिद्धांत पर कार्य करती है ? भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस तकनीक से संबंधित क्या चुनौतियाँ हैं?
18 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी
उत्तर की रूपरेखा-
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हाइपरलूप परिवहन की एक ऐसी तकनीक है जिसमें बड़े-बड़े पाइपों के अंदर वैक्यूम या निर्वात जैसा माहौल तैयार कर वायु की अनुपस्थिति में पॉड जैसे वाहन में बैठकर 1000 से लेकर 1300 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा की जा सकती है। ट्यूब्स के अंदर निर्वात पैदा करने से वायु द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध (air friction) समाप्त हो जाता है, जिससे पॉड को इतनी तेज़ गति से चलाया जा सकता है।
इन ट्यूब्स के अंदर ट्रेन या पॉड को लेविटेशन (उत्तोलन) तकनीक के सहारे आगे बढ़ाया जाता है। लेविटेशन तकनीक के अंतर्गत ट्रेन को बड़े-बड़े इलेक्ट्रिक चुंबकों के ऊपर चलाया जाता है। इसमें चुंबकीय शक्ति के प्रभाव से ट्रेन थोड़ी ऊपर उठ जाती है और बड़ी तेज़ गति से ट्रैक के ऊपर चलती है।
इस तकनीक में अग्रणी विभिन्न कंपनियों ने भारत में विभिन्न मार्गों पर हाइपरलूप के निर्माण का प्रस्ताव रखा है। जैसे- डिनक्लिक्स ग्राउंडवर्क्स कंपनी दिल्ली-मुंबई मार्ग पर, ऐकॉम बंगलूरू-चेन्नई मार्ग पर हाइपरलूप के निर्माण में रूचि रखती है। यह तो निश्चित है कि इस तकनीक को परिवहन ढाँचे में समाविष्ट करके यात्रा के समय को बहुत कम किया जा सकता है। यह देश के व्यस्ततम रेलवे और वायुमार्गों पर से दबाव को कम करेगा।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में हाइपरलूप से सबंधित कुछ चुनौतियाँ भी हैं , जो निम्नलिखित हैं-
यात्रा के समय में कटौती और तीव्र परिवहन समय की मांग है। भारत को अपनी क्षमता के अनुसार तथा उस तकनीक की भारतीय परिप्रेक्ष्य में उपयोगिता को ध्यान में रखकर ही आगे कदम बढ़ाना चाहिये। फिलहाल भारत में नीति-निर्माताओं की प्राथमिकता अभी हाई-स्पीड ट्रेनों और बुलेट ट्रेन पर आधारित रेलवे परिवहन के विकास की है।