भारतीय कृषि की सफलता के लिये भारत को मौसम के पूर्वानुमान से संबंधित कौशल की भी आवश्यकता है। टिप्पणी करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- मौसम के पूर्वानुमान और भारतीय कृषि की सफलता के संबंध को समझाएँ।
- सटीक भविष्यवाणी से संबंधित मौसम विभाग की परेशानियों को बतलाएँ।
- इस समस्या के लिये कुछ उपाय सुझाते हुए उत्तर का अंत करें।
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भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर करती है। मानसून का गलत पूर्वानुमान कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। कृषि के सटीक पूर्वानुमान और भारतीय कृषि की सफलता के संबंध को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-
- किसानों को बीजों की बुवाई का समय तय करने के लिये मौसम का सटीक पूर्वानुमान होना ज़रूरी है।
- मौसम का सटीक पूर्वानुमान प्राकृतिक आपदाओं जैसे-अत्यधिक वर्षा, ओलावृष्टि, हीट वेव, शीत लहर आदि से फसलों को बचाने के लिये किसानों की मदद कर सकता है।
- मौसम का सटीक पूर्वानुमान सरकार को भी सूखे, बाढ़, अनियमित बारिश आदि के मामले में कृषि संबंधी किसी भी नीति को तैयार करने में मदद कर सकता है।
- मौसम की सही जानकारी से किसान भविष्य की अपनी कृषि संबंधी गतिविधियों को विनियमित कर सकते हैं।
- मौसम के सटीक पूर्वानुमान से कृषि को वाणिज्यिक लाभ होगा और यह एक आकर्षक व्यवसाय बन पाएगा।
मौसम के पूर्वानुमान में भारतीय मौसम विभाग के समक्ष चुनौतियाँ-
- मौसम की भविष्यवाणी के लिये भारतीय मौसम विभाग द्वारा प्रयोग किये जाने वाला संख्यात्मक मॉडल के अत्याधुनिक होने के बावजूद इसकी पूर्वानुमान क्षमता कमज़ोर है।
- वर्तमान में वर्षा के वितरण में ज़िलेवार काफी भिन्नता पाई जाती है। यदि गाँव और तहसील स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान लगाना हो तो मौसम विभाग के विभिन्न उपकरण जैसे-स्वचालित मौसम स्टेशन, रडार, वेधशालाएँ आदि असमर्थतता प्रदर्शित करते हैं।
- स्वचालित मौसम स्टेशनों की गुणवत्ता भी दोयम दर्जे की है एवं इनके रख-रखाव की भी समस्या है।
मौसम के सटीक पूर्वानुमान और उसके लाभ को सुनिश्चित करने के लिये भारतीय मौसम विभाग को भारत को अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित करने की ज़रूरत है। प्रत्येक क्षेत्र के लिये लंबी अवधि के पूर्वानुमान प्रस्तुत किये जाने चाहिये। अलग-अलग वर्षा की स्थिति वाले ये क्षेत्र अंतर्राज्यीय भी हो सकते हैं, अर्थात् वर्षा की एक निश्चित मात्रा वाले किसी क्षेत्र विशेष का फैलाव दो राज्यों में भी हो सकता है। साथ ही वर्षा की मात्रा में ज़िलेवार विविधता के कारण, भारतीय मौसम विभाग की कुशलता में वृद्धि करने की ज़रूरत है, ताकि ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर भी मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सके।