"यह आपदा नहीं, बल्कि तैयारियों की कमी है, जो घातक होती है"। इस कथन के प्रकाश में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना 2016 की सुविधाओं पर चर्चा करें। साथ ही, इस बात का उल्लेख भी करें कि शहरी इलाकों में आपदा प्रतिरोध कैसे लाया जा सकता है?
12 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन
उत्तर की रूपरेखा-
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भारत का लगभग 85% क्षेत्र एक या कई प्रकार के प्राकृतिक खतरों के लिये सुभेद्य है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना 2016 (एनडीएमपी) ने हमारी तैयारियों में कमियों को दूर करने के लिये रोकथाम, शमन और आपदा-पूर्व तैयारियों के मुद्दों को शामिल किया है।
एनडीएमपी की मुख्य विशेषताएँ-
1. जोखिम को समझना
2. एजेंसियों के बीच सहयोग
3. संरचनात्मक उपाय
4. गैर-संरचनात्मक उपाय
5. क्षमता विकास
शहरी क्षेत्रों में आपदा प्रतिरोध पर एनडीएमपी:
1. शहरी बुनियादी ढाँचे के लिये भवन मानकों को भूकंप प्रतिरोध से संबंधित सुरक्षा मानकों के अनुरूप होना चाहिये।
2. आपदा प्रबंधन तथा सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिये संबंधित स्थानीय शहरी प्राधिकरणों की क्षमताओं को बढ़ाया जाना चाहिये।
3. नगरपालिकाओं को शहरी बाढ़ के खतरों को ध्यान में रखते हुए शहरी नियोजन सुनिश्चित करना चाहिये।
4. सभी शहरी क्षेत्रों में स्थान विशेष और जनसांख्यिकीय सुभेद्यता के आधार पर मानचित्रण किया जाना चाहिये।
5. लू, शीत लहर, बाढ़ आदि के लिये मौसम की शुरुआत के पहले ही तैयारी कर लेनी चाहिये।
6. मानवजनित आपदाओं (रासायनिक, जैविक आदि) से निपटने के लिये आवश्यक क्षमता विकसित की जानी चाहिये।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना- 2016 स्पष्ट दिशा निर्देशों और निश्चित दृष्टिकोण, ज़िम्मेदारियों का विभाजन, प्रारंभिक चेतावनी, सामुदायिक जागरूकता आदि के द्वारा आपदा तैयारियों को सुदृढ़ करने में मदद करेगी। यह हमारे आपदा प्रतिरोध को सुधारने में मददगार है और यह हमारे विकास को और अधिक टिकाऊ बना देगी।