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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कैशलेस समाज एक स्वागत योग्य विचार है, लेकिन पर्याप्त तैयारी के बिना नहीं। भारत को एक कैशलेस समाज बनाने के समक्ष कौन-सी बाधाएँ हैं। इनसे निपटने के लिये रतन पी वाटल समिति की रिपोर्ट के संदर्भ में चर्चा करें।

    12 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा- 

    •  भारत के लिए नकदहीन अर्थव्यवस्था की आवश्यकता पर चर्चा करें।
    •  फिर इसे प्राप्त करने में बाधाएं बताएं।
    • रतन पी वाटल समिति की सिफारिशों पर चर्चा करें।
    • केंद्रीय और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के साथ निष्कर्ष लिखें।

    भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था की आवश्यकता-

    • भारत में सबसे ज्यादा नकद संचालन में है,  2014 में यह 12.42% था, जो चीन में 9.47% या ब्राजील में 4% था।
    • नकद संचालन में भारतीय रिज़र्व बैंक और वाणिज्यिक बैंकों को सालाना 21,000 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
    • नकदहीन अर्थव्यवस्था आय पर कर छिपाने की प्रवृत्ति को कठिन बना देगी। 
    • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का आकार कम हो जाएगा क्योंकि अधिक से अधिक कंपनियां कर-जाल के तहत आ जाएँगी, क्योंकि कैशलेस लेनदेन आसानी से पता लगाए जा सकते हैं।

    कैशलेस अर्थव्यवस्था की राह में कुछ बाधाएँ भी हैं-

    •  लोगों की नकद आधारित लेनदेन करने की आदत बदलना कठिन कार्य होगा।
    • समानांतर अर्थव्यवस्था का बड़ा आकार: भारतीय अर्थव्यवस्था का लगभग 45% कर-जाल से बाहर है और इसका अधिकतम केवल नकदी पर आधारित है।
    • भ्रष्टाचार और कर चोरी- खासतौर पर खनन, रियल एस्टेट आदि क्षेत्र नगदी पर आधारित क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में कर चोरी की काफी शिकायतें हैं।
    • साइबर सुरक्षा - भारत में मजबूत साइबर सुरक्षा बुनियादी सुविधाओं का अभाव है और परिष्कृत साइबर युद्ध में शामिल देशों के साथ, भारत की स्थिति बहुत कमजोर हो जाती है। जैसे- अक्टूबर 2016 में 30 लाख से अधिक डेबिट कार्डों का विवरण चोरी हो गया था।
    • नेटवर्क कनेक्टिविटी और इंटरनेट की लागत - ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्शन अनुपलब्धता या विफलता के मामले भारत में आम हैं। इसके अलावा भारत में इंटरनेट की लागत अब भी काफी अधिक है।
    •  कार्ड पर शुल्क, ऑनलाइन लेनदेन – वे अतिरिक्त शुल्क है जो विक्रेताओं द्वारा लगाए जाते हैं। डेबिट कार्ड पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) भारत में बहुत अधिक है।
    •  लोगों में कंप्यूटर साक्षरता अभी भी कम है इसके अलावा लोग लेनदेन के लिये इलेक्ट्रॉनिक पद्धति का उपयोग करने के लिए आशंकित हैं। 

    नकद रहित अर्थव्यवस्था में बाधाओं से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार करने के लिए रतन पी. वाटल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी। इसके कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं -

    • एक अलग, स्वतंत्र भुगतान नियामक की स्थापना।
    • उपभोक्ता संरक्षण, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता पर प्रावधानों को शामिल करने के लिए भुगतान और निपटान अधिनियम पर पुनर्विचार ।
    • आरटीजीएस और एनईएफटी 24X7 आधार पर काम करना चाहिए 
    • डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए एक फंड बनाया जाना चाहिए।
    • सभी सरकारी भुगतानों और लेन-देन को डिजिटल रूप में किया जाना चाहिए और शुल्कों में छूट दी जानी चाहिए। जैसे -रेलवे टिकट बुकिंग पर सेवा शुल्कमें छूट।

    इस प्रकार, हम देखते हैं कि उपरोक्त सिफारिशों में से कई नकदहीन अर्थव्यवस्था की समस्याओं का समाधान प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा सरकारें भी भीम- ऐप, लकी ग्राहक योजना, डिजी बैंक जन- धन योजना योजना आदि जैसे विभिन्न उपाय कर रही हैं। कैशलेस इंडिया एक ऐसा विचार है, जिसको व्यावहारिक रूप में अपनाने का उचित समय आ गया है और इसके लिए एक कारगर उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था को और भी अधिक गतिमान और वृद्धिशाली बनाया जा सकता है।

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