‘मेक इन इंडिया’ देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु भारत की सबसे महत्त्वाकांक्षी वैश्विक पहल है, लेकिन इसके लक्ष्य के साकार होने के मार्ग में अनेक चुनौतियाँ हैं। टिप्पणी कीजिये।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- मेक इन इंडिया अभियान का संक्षिप्त परिचय दें।
- इस अभियान से जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख करें।
- निष्कर्ष लिखें।
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मेक इन इंडियाः यह भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये दुनिया भर से निवेश को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार द्वारा चलाया गया वैश्विक अभियान है। इस अभियान का मूल विचार भारत को विर्निर्माण हब बनाना है। इससे भारत में सकल घरेलू उत्पाद, रोज़गार सृजन में मदद मिलेगी और यह भारत की कुल मैक्रो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।
विनिर्माण क्षेत्र हमेशा सर्वांगीण विकास में बड़ी भूमिका अदा करता है, औद्योगिक क्रांति इसका बहुत सफल उदाहरण है। भारत में विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता बहुत अधिक है और मेक इन इंडिया निश्चित रूप से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देगा लेकिन अपने लक्ष्य को साकार करने के लिये चुनौतियों का सामना करना ज़रूरी है।
- प्रशासनिक मशीनरी के कुशल और शीघ्र स्वस्थ होने पर ही कारोबारी माहौल बनाना संभव हो पाएगा।
- प्रक्रियागत तंत्र और नियामक मंजूरी के लिये भारत में बहुत कठिनाइयाँ हैं। यह विदेशी निवेश में बाधा डालता है इसलिये विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिये एक संतुलित पारिस्थितिकी की आवश्यकता है, जिसमें पारदर्शी कानून, नियमों में स्थिरता होना ज़रूरी है।
- प्रस्तावित एकल खिड़की प्रणाली की सुविधा निवेशकों के लिये एक आसान मार्ग होगा, इस पर ठोस दिशा-निर्देशों के साथ उचित निर्णय लेने की ज़रूरत है।भूमि अधिग्रहण भारत में एक बड़ा मुद्दा है। यह निवेशकों के लिये निवेश से विमुख होने का एक बड़ा कारण है।
- भूमि अधिग्रहण कानून सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक मुद्दा बन गया है। हाल के भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन पर अवसरवादी राजनीति, संवेदनशील मुद्दे हावी हो गए। निवेश बढ़ाने के लिये भूमि अधिग्रहण की बाधाओं को दूर करने के लिये उचित परामर्श प्रक्रिया की ज़रूरत है।
- श्रमिकों का भी विनिर्माण में अपना महत्त्व है। भारत में निवेश करने के लिये निवेशक पुरातन श्रम कानूनों को एक बाधा रूप में देखते हैं। इनमें से ज़्यादातर कानूनों ने अर्थव्यवस्था में अक्षमता पैदा की है। श्रम के विषय पर अक्सर विविध हितधारकों में राजनीतिक आधार के साथ एक संकीर्ण कदम उठाने की प्रवृत्ति है। इसलिये विनिर्माण क्षेत्र के विकास के लिये उद्योग और श्रमिकों के अनुकूल कानून बनाने की ज़रूरत है।
ऊपर चर्चा किये गए प्रमुख मुद्दों के साथ बुनियादी ढाँचे, कौशल विकास जैसे इतर मुद्दों पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। जनसांख्यिकीय विभाजन, शैक्षिक विकास जैसे लाभ हमारे पक्ष में होने के नाते भारत एक वैश्विक विनिर्माण हब बनने की क्षमता रखता है।