झंझा-नीर (storm water) प्रबंधन कृषि भूमि के कटाव और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों की बाढ़ को रोकने के लिये आवश्यक है। भारत के विविध भौगोलिक क्षेत्रों के संदर्भ में झंझा-नीर प्रबंधन की चुनौतियों का परीक्षण करें।
23 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा-
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झंझा-नीर’ (storm water) को तीव्र वर्षा, स्लीट या पिघली हुई बर्फ से प्राप्त किया जाता है, जो भू-धरातल पर तीव्र गति से बहता है। प्राकृतिक रूप में बहुत कम झंझा-नीर धरातल पर बहता है, क्योंकि अधिकांश जल भू-गर्भ में चला जाता है। लेकिन विकास कार्यों के कारण, जैसे भूमि विकास, कंक्रीट की छतें, पार्किंग, सड़कें आदि के निर्माण ने भूमि को अप्रवेश्य बना दिया है, इस कारण सतही अपवाह की गति तीव्र हो गई है, जिससे मृदा कटाव और बाढ़ की घटनाएँ बढ़ गई हैं।
झंझा-नीर प्रबंधन के द्वारा झंझा-नीर, जिसे अपनी प्रकृति के कारण नकारात्मक माना जाता है, को महत्त्वपूर्ण संसाधन में बदला जा सकता है। क्योंकि इसके द्वारा भू-जलपुनर्भरण आदि संभव हो पाता है। झंझा-नीर प्रबंधन के निम्नलिखित घटक हैं-
इस प्रकार, उपर्युक्त उपाय अपनाकर झंझा-नीर प्रबंधन को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह कृषि भूमि के कटाव और बाढ़ को नियंत्रित करने में भी निम्नलिखित रूप से सहायक हो सकता है-
इस प्रकार, हम देखते हैं कि झंझा-नीर प्रबंधन, झंझा-नीर को नकारात्मक संसाधन से सकारात्मक संसाधन के रूप में बदलने में महत्त्वपूर्ण हैं। इसके द्वारा न केवल कृषि भूमि के कटाव और बाढ़ को नियंत्रित किया जा सकता है बल्कि भू-गर्भ पुनर्भरण, नदी, तालाब एवं पेयजल सुविधाओं को भी बढ़ाया जा सकता है।