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प्रश्न :
कार्बन डाइऑक्साइड को चूना पत्थर के आधार पर कार्बोनेट खनिज में बदलना नया नहीं है। पृथ्वी स्वयं इस रूपांतरण तकनीक का प्रयोग वायुमंडलीय कार्बन डाईऑक्साइड को संतुलित करने के लिये करती रही है। कथन के संदर्भ में “कार्बफिक्स परियोजना” द्वारा कार्बन डाईऑक्साइड का पृथ्वी की निचली परतों में संग्रहण, इसके लाभ व हानि पर चर्चा करें।
24 Oct, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- CARBFIX परियोजना का संक्षिप्त परिचय दें।
- इसके लाभ तथा हानि बतलाएँ।
- निष्कर्ष
हाल ही में जलवायु परिवर्तन के संबंध में ऐतिहासिक पेरिस समझौता हुआ। इसमें वैश्विक तापमान को कम करने की दिशा में एक वैश्विक आम सहमति बनी। उल्लेखनीय है कि ग्लोबल वार्मिंग में कार्बन डाइऑक्साइड की एक महती प्राकृतिक भूमिका है जो पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाती है। लेकिन औद्योगीकरण व शहरीकरण और असंतुलित विकास के कारण कार्बन डाइऑक्साइड के अत्यधिक विमुक्तीकरण ने ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न की।
इस समस्या के निपटान हेतु आइसलैण्ड में एक 'CARBFIX' परियोजना की शुरुआत हुई। इसमें बेसाल्ट चट्टानों के साथ CO2 की अभिक्रिया द्वारा CO2 को सुरक्षित रखा जाता है जिससे यह बेसाल्ट चट्टानों में उपस्थित कैल्शियम, मैग्नीशियम या सिलिकेट सामग्री के साथ अभिक्रिया करता है। इसे परिष्कृत अपक्षय (Enhanced Weathering) कहा जाता है। परियोजना में प्रति टन CO2 के लिये 25 टन पानी का उपयोग कर 2 साल में 250 टन CO2के 95% भाग को जमाने में सक्षम रहा। इस प्रौद्योगिकी के निम्नलिखित लाभ व हानि हैं-लाभ
- यह महत्त्वपूर्ण परियोजना है जो कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन हेतु एक नई तकनीक का निर्माण करती है।
- मानवजनित स्रोतों या वातावरण से उत्पन्न CO2 को संग्रहित किया जा सकता है। इसका कोई हानिकारक उप-उत्पाद नहीं है।
- ग्रीनहाउस गैस के संतुलन के लिये आवश्यक है।
- CO2 को संग्रहित कर ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने का सुरक्षित व आसान तरीका है।
- शीघ्र कार्बोनेशन का यह तरीका स्थायी रूप से रिसाव के बिना CO2 के भूमिगत संचयन का व्यावहारिक तरीका हो सकता है।
हानि
- इस प्रक्रिया की लागत बहुत अधिक है।
- चूँकि यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (Exothermic) हैं, अतः अगर चट्टानें गर्म होती हैं तो यह उत्क्रमणीय हो सकती है।
- पंपिंग गतिविधि भूकंपीय हलचलें उत्पन्न कर सकती हैं।
- जल की अत्यधिक मात्रा का उपयोग होता है।
इस प्रकार कार्बोनेशन की प्रक्रिया द्वारा कार्बन संग्रहण की अपनी सीमाएँ हैं। अतः इन तकनीकों को अधिक सुग्राही बनाने के साथ व्यक्तिगत तौर पर कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का वैश्विक प्रयास होना चाहिये तथा सतत् विकास हेतु ग्रीन टेक्नोलॉजी पर बल देना चाहिये।
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