“मॉडल कृषि लैंड लीजिंग एक्ट भारतीय कृषि के वर्तमान परिदृश्य को परिवर्तित करने में सक्षम है।” इस कथन की जाँच करें।
09 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाविशाल जनसंख्या और अन्य विभिन्न कारणों से देश में प्रति कृषक कृषि-भूमि की उपलब्धता कम है, जिसके कारण कृषि मज़दूरों की प्रति व्यक्ति आय कम है और वे निर्धनता युक्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि कृषि कार्य में लगे लोगों को गैर कृषि कार्य में लगाया जाए। ज़मीन को लीज़ पर देने की प्रक्रिया को कानूनी रूप देना इस समस्या के हल के लिये मददगार साबित होगा। इससे ज़मीन मालिक अपनी ज़मीन गंवाने का डर छोडक़र ज़मीन लीज़ पर देंगे और गैर कृषि क्षेत्र में निवेश करेंगे। ऐसा होने से कृषि पर से जनसंख्या का बोझ कम होगा।
एग्रीकल्चर टेनेंसी से तात्पर्य है कि जिनके पास ज़्यादा भूमि का स्वामित्त्व है वे खेत किराए पर दे सकते हैं, परंतु उन्हें यह संशय है कि कहीं उनकी भूमि पर कब्ज़ा न हो जाए। दूसरी ओर, ऐसे किसान भी हैं जो टेनेंसी के तहत ली गई ज़मीन पर कर्ज़, बीमा जैसी सुविधाएं नहीं मिलने से भूमि किराए पर लेने से हिचकिचाते हैं। ऐसे में नीति आयोग ने मॉडल कृषि लैंड लीजिंग एक्ट का मसौदा बनाया है, जिसमें दोनों के हितों का ध्यान रखा गया है।
इसके प्रमुख प्रावधानों के अनुसार -
टेनेंसी और बाजार से कानूनी और संस्थागत प्रतिबंधों के हटने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव आएगा, जिससे गरीबी मिटाने और आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। ऐसा होने से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीबों द्वारा ज़मीन का समुचित उपयोग तो होगा ही, लोगों को रोज़गार के ज़्यादा साधन भी उपलब्ध होंगे। लैंड लीजिंग ग्रामीण लोगों को रोज़गार के लिये बाहर जाने के लिये भी प्रेरित करेगा जिससे गरीबी कम होगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह एक्ट भू-स्वामियों और लीज़ पर भूमि लेने वाले, दोनों के लिये लाभदायक होगा।