भारत के समक्ष पारंपरिक भू-राजनीतिक खतरों से लेकर परोक्ष युद्ध के प्रसार के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के खतरे भी मौजूद हैं। इस कथन पर चर्चा करते हुए इन चुनौतियों से निपटने के उपाय बताएँ।
14 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाकिसी भी राष्ट्र की सुरक्षा में बाहरी शत्रुओं से निपटना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है आंतरिक चुनौतियों से निपटना। एक राष्ट्र राज्य तभी सक्षम बनता है जब बाह्य के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा को भी पुख्ता बनाता है। भारत में आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ काफी प्रबल हैं। आंतरिक सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अनिवार्य अंग है। यह कानून व्यवस्था, लोगों की संपत्ति सुरक्षा तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता से जुड़ा हुआ है। लोगों के मौलिक अधिकार और मानव अधिकार सुरक्षित रखने के लिये भी आंतरिक सुरक्षा का मजबूत होना ज़रूरी है।
वर्तमान में आतंकवाद, नक्सलवाद, शत्रुवाद और भ्रष्टाचार देश के लिये गंभीर चुनौतियाँ है। भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ, नृजातीय संघर्ष, धार्मिक कट्टरता, सांप्रदायिक दंगे, कश्मीर समस्या आदि आंतरिक सुरक्षा के लिये बड़े खतरे के रुप में सामने आये हैं। भारत के आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन में व्याप्त कमियों के चलते आज यह एक गंभीर चुनौती बन गई है। इन चुनौतियों से निपटने के निम्नलिखित संभावित उपाय हो सकते हैं-
आज पारंपरिक खतरों के अलावा आतंकवाद, साइबर हमला, नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी, अवैध आव्रजन, मनी लाँड्रिंग आदि की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। कश्मीर समस्या, पूर्वोत्तर राज्यों में उपद्रव, नक्सलवाद की चुनौती भी विकराल हुई है। आंतरिक सुरक्षा देश के सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है तथा इससे निपटने के लिये केंद्र सरकार और राज्यों की सरकारों को मिलकर काम करनी की ज़रूरत है। सिर्फ किसी कानून से आंतरिक सुरक्षा में कदापि मजबूती नहीं लाई जा सकती, बल्कि पिछड़े इलाकों में सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ, शिक्षा आदि का विकास कर इन समस्याओं को सुलझाना होगा, तभी शांति बहाल हो सकती है।