राष्ट्रीय कृषि विज्ञान कोष के उद्देश्यों पर प्रकाश डालें।
16 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाकृषि विज्ञानों के अग्रणी क्षेत्रों में मूलभूत और कार्यनीतिक अनुसंधान तथा अनुप्रयुक्त विज्ञान प्रौद्योगिकी, विकास के ‘गति-निर्धारक’ हैं। इस आवश्यकता को पूर्ण रूप से पूरा करने के लिये, भारत सरकार ने तात्कालिक, दीर्घकालिक और प्रत्याशित स्वरूप की कृषि संबंधी समस्याओं को हल करने, सभी देशों में सभी विधाओं और संस्थानों में उपलब्ध समस्त अपेक्षित विशेषज्ञता की भागीदारी करने और भारत को विकास के लिये अनुसंधान में वैश्विक रूप से अग्रणी बनाने के उद्देश्य से मूलभूत और कार्यनीतिक अनुसंधान को सहायता देने के लिये एक राष्ट्रीय कोष स्थापित करने का निर्णय किया।
इस कोष को ‘कृषि में मूलभूत, कार्यनीतिक और अग्रणी अनुप्रयोग अनुसंधान के लिये राष्ट्रीय निधि’ (NFBSFARA) नाम दिया गया है। 10वीं और 11वीं योजना अवधियों के दौरान प्राप्त अनुभव और प्राप्त परिणामों तथा सृजित आधार के साथ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने NFBSFARA की अधिकार प्राप्त समिति की सलाह से यह निर्णय किया गया था कि उक्त कोष को व्यापक महत्व दिया जाना चाहिये और व्यापक कार्यक्षेत्र मुहैया किया जाना चाहिये। एक सुदृढ़ और टिकाऊ मंच अपेक्षित होगा जो उस विस्तारित एनएआरएस में वैज्ञानिक क्षमता और कल्चर विकसित करने में सहायता देगा जो कृषि में समस्याओं का समाधान करने के लिये सर्वोत्तम और उपयुक्त परिमाण में लगातार अग्रणी प्रौद्योगिकी और ज्ञान देना सुनिश्चित करने में सक्षम हो और कृषि के लिये विज्ञान नीति का एक स्रोत भी मुहैया करे। इस आवश्यकता के अनुरूप बारहवीं योजना के दौरान इस कोष का नाम बदल कर ‘राष्ट्रीय कृषि विज्ञान निधि’ (एनएएसएफ) रखा गया था।
उद्देश्य-
इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि में मूलभूत, कार्यनीतिक और आधुनिक अनुप्रयोग अनुसंधान के लिये क्षमता निर्माण करना और उन मुद्दों का समाधान करना है जो संगठनों/संस्थानों के दल द्वारा संयुक्त रूप से गहन मूलभूत और कार्यनीतिक अनुसंधान द्वारा हल किए जा सकते हैं। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित ध्येय हैं-