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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नई राष्ट्रीय इस्पात नीति-2017 कौन-से उद्देश्यों पर केंद्रित है? इसकी विशेषताओं पर भी प्रकाश डालें।

    17 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    इस्‍पात आधुनिक समय के सबसे महत्त्वपूर्ण उत्पादों में से एक है और यह किसी भी औद्योगिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शामिल है और निर्माण, बुनियादी ढाँचा, बिजली, अंतरिक्ष एवं औद्योगिक मशीनरी से लेकर उपभोक्‍ता उत्‍पादों तक इस्‍पात के उपयोग का दायरा काफी व्‍यापक है। ऐसे में यह क्षेत्र देश के लिये सामरिक महत्त्व का है। भारतीय इस्‍पात क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों के दौरान तेज़ी से विकास कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इस्‍पात उत्‍पादक बन गया है। यह जीडीपी में करीब 2 प्रतिशत का योगदान करता है और करीब 5 लाख लोगों को प्रत्‍यक्ष तौर पर ,जबकि करीब 20 लाख लोगों को अप्रत्‍यक्ष तौर पर रोज़गार के अवसर प्रदान कर रहा है।   क्षमताओं का पर्याप्‍त दोहन न होने और दमदार नीतिगत मदद से यह विकास के लिये एक आदर्श प्‍लेटफॉर्म बन गया है। 

    उद्देश्य

    • इस नीति के तहत भारत में वर्ष 2030-31 तक 300 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन कर विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी इस्पात उद्योग का निर्माण करना।
    • भारत में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत 61 किलोग्राम है। नई इस्पात नीति के अनुसार, वर्ष 2030-31 तक प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत को 158 किलोग्राम तक बढ़ाना है। 
    • भारत को वर्ष 2030-31 तक उच्च श्रेणी के ऑटोमोटिव स्टील, इलेक्ट्रिक स्टील और रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिये एलॉय के निर्माण में आत्मनिर्भर बनना। 
    • नई इस्पात नीति के अनुसार, भारत को वर्ष 2025-26 तक स्टील का शुद्ध निर्यातक देश के रूप में स्थापित करना। इस्पात उद्योग को वर्ष 2030-31 तक कच्चे माल से उच्च श्रेणी के स्टील का उत्पादन करने के लिये प्रोत्साहित करना। 
    • नई इस्पात नीति में घरेलू इस्पात उत्पादकों के लिये गुणवत्ता मानकों का विकास भी शामिल किया गया है जिससे उच्च श्रेणी के इस्पात का उत्पादन हो सके।

    वर्तमान परिदृश्‍य में इस क्षेत्र के सामरिक महत्त्व और एक दमदार एवं पुनर्गठित नीति की आवश्‍यकता के मद्देनजर नई एनएसपी 2017 जरूरी हो गई थी। हालाँकि राष्‍ट्रीय इस्‍पात नीति 2005 (एनएसपी 2005) के तहत भारतीय इस्‍पात उद्योग के कुशल एवं निरंतर विकास के लिये एक रूपरेखा तैयार की गई और तत्‍कालीन आर्थिक आपूर्ति प्रवाह को सुदृढ़ करने के तरीके सुझाए गए, लेकिन भारत एवं दुनियाभर की हालिया घटनाओं के मद्देनज़र इस्‍पात बाज़ार में मांग एवं आपूर्ति में संतुलन स्‍थापित करने के लिये इसे लागू करने की ज़रूरत महसूस की गई है। 

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