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प्रश्न :
सागरीय कृषि से आप क्या समझते हैं? भारत में सागरीय कृषि की संभावनाओं पर चर्चा करें।
23 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- सागरीय कृषि को संक्षेप में स्पष्ट करें।
- भारत में समुद्री खेती के लिये उपर्युक्त कारकों को बताएँ।
सागरीय कृषि का तात्पर्य खुले समुद्र या समुद्र से घिरे किसी भाग में अथवा समुद्री जल से भरे किसी तालाब में खाद्य पदार्थों के उत्पादन से है। सागरीय कृषि के अंतर्गत कई प्रकार की प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं-
- समुद्र के खारे जल के माध्यम से तालाबों में कृषि करना या पोंड कल्चर: इसके अंतर्गत मछली, केकड़ा, मोलस्क आदि की खेती की जाती है।
- फ्लोटिंग राफ्ट संवर्द्धन: इसमें तैरते हुए राफ्ट का प्रयोग कर समुद्री किनारों या उथले समुद्री भागों में समुद्री सिवार, सीप आदि का उत्पादन किया जाता है।
- मड फ्लैट क्लचर या पंक मैदान संवर्द्धन: इसके अंतर्गत बड़ी सीपी, उस्तरानुमा सीपी, लैवर आदि नितलस्थ जीवों की खेती की जाती है।
- जलमग्न पिंजराबंद खेती: इसके अंतर्गत लकड़ी या लोहे की बनी जालीनुमा वस्तु में झींगे और सीपी की खेती की जाती है।
- इनके अतिरिक्त तटवर्ती और अपतटीय पिंजराबंद खेती, इंडोर टैंक कल्चर, सुरंग समुद्री खेती आदि तरीकों के माध्यम से समुद्री खेती की जाती है।
भारत में समुद्री कृषि की संभावना:
भारत जो तीन ओर से समुद्र से घिरा है और सात हज़ार किलोमीटर से भी अधिक लंबी तटीय सीमा का विस्तार है, जो इसे समुद्री कृषि के दृष्टिकोण से एक अनुकूल व उल्लेखनीय रूप से संभवनाशील देश के रूप में स्थापित करती है। इसके अतिरिक्त भारत के समुद्री क्षेत्रों में महाद्वीपीय शेल्फ का भी पर्याप्त विस्तार हुआ है। इसके बावजूद भारत में समुद्री कृषि के लिहाज़ से उत्पादित होने वाले पदार्थों की मात्रा काफी कम है।
तीन तरफ से समुद्र से घिरा होने के कारण इसका कुल विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) भी काफी ज़्यादा है, ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भारत समुद्री कृषि के लिये संभावनाओं से भरा हुआ देश है।
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