ई.टी.एफ. (Exchange traded funds) क्या है? इसके महत्त्व पर चर्चा करें। इससे जुड़ी चिंताओं पर भी प्रकाश डालें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- ETF का संक्षिप्त परिचय दें।
- ETF के महत्त्व को समझाते हुए कुछ बिंदु लिखें।
- इससे जुड़ी चिंताओं पर भी प्रकाश डालें।
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एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध म्यूचुअल फंड होते हैं। इनकी खरीद-फरोख्त भी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध शेयरों की भाँति ही की जाती है। ई.टी.एफ. केवल एक सूचकांक की प्रतिलिपि बनाता है और इसके प्रदर्शन को सही रूप से प्रतिबिंबित करने की कोशिश करता है। ई.टी.एफ. में बाज़ार के समय के दौरान वास्तविक समय के आधार पर मौजूदा बाज़ार मूल्यों पर इन्हें खरीदा भी जा सकता है और बेचा भी जा सकता है। ई.टी.एफ. के अंतर्गत मूल रूप से केवल बाज़ार पर नज़र रखी जाती थी, परंतु हाल के वर्षों से इनके द्वारा विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों को भी ट्रैक करने का काम किया जा रहा है। ई.टी.एफ. की प्रभावशीलता को रिटर्न के अलावा, ट्रैकिंग में होने वाली त्रुटि के माध्यम से भी मापा जाता है। ट्रैकिंग में होने वाली त्रुटि के तहत इस बात पर भी ज़ोर दिया जाता है कि ई.टी.एफ. द्वारा चुने हुए सूचकांक को कितनी बारीकी से ट्रैक किया गया है।
इसके महत्त्व को हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
- ई.टी.एफ. लागत प्रभावी होते हैं। चूँकि ये कोई स्टॉक (या सुरक्षा विकल्प) नहीं बनाते हैं, इसलिये ये स्टार फंड मैनेजर्स (star fund managers) की सेवाओं का उपयोग भी नहीं करते हैं।
- भारत में निफ्टी 50 और सेंसेक्स 30 ई.टी.एफ. अपने नेट एसेट वैल्यू (एन.ए.वी.) के 0.05 से 1% तक का वार्षिक खर्च शुल्क लगाते हैं, जबकि सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड एक साल में 2.5-3.25% का शुल्क लगाते हैं।
- लागतों के अलावा वर्तमान में वैश्विक निवेशकों के बीच ई.टी.एफ. के संबंध में उत्साह की तीन वज़हें और भी हैं।
- सर्वप्रथम, ई.टी.एफ. निवेशकों को एक विविध निवेश पोर्टफोलियो की पेशकश करते हुए फंड मैनेजर द्वारा खराब सुरक्षा के चयन के ज़ोखिम से बचने की अनुमति देता है।
- दूसरा कारण यह है कि इंडेक्स प्रदाताओं द्वारा न केवल सूचकांक के शेयरों का ध्यान से चयन किया जाता है बल्कि समय-समय पर पुनर्संतुलित भी किया जाता है।
- तथा तीसरा कारण यह है कि ई.टी.एफ. एक्सचेंजों के माध्यम से किसी भी समय तरलता की पेशकश करते हैं।
चिंताएँ-
- ETF से जुड़ा पहला मुद्दा पारदर्शिता का है। ETF को अपनी होल्डिंग को दैनिक आधार पर जारी करने की आवश्यकता होती है। यह म्युचुअल फंड से अलग है क्योंकि म्युचुअल फंड में होल्डिंग को एक निश्चित अवधि के बाद ही जारी करना होता है।
- म्युचुअल फंड की तुलना में ETF में विकल्पों की कमी है।
- ईटीएफ केवल एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं और यहाँ एसआईपी (Systematic Investment Plans) करना मुश्किल होता है।
- ईटीएफ से अब तक कई विषय और क्षेत्र अछूते रह गए हैं। मैन्युफ़ैक्चरिंग, रियल एस्टेट आदि जैसे क्षेत्रों में उन पर आधारित कोई ईटीएफ नहीं है।
- इनमें कभी कभी लिक्विडिटी की समस्या होती है और आम तौर पर भारी मात्रा में यूनिट बेचने पर लिक्विडिटी की समस्या हो सकती है।
- जब तक ईटीएफ बाजार में निवेशकों की इच्छा वाले विकल्प शामिल या प्रदान करके इसे विकसित नहीं किया जाता, तब तक म्यूचुअल फंड बाजार की तुलना में इसकी ओर कम निवेशकों के आकर्षित होने की संभावना है।