कृषि में मशीनीकरण के लाभ तथा हानियों का उल्लेख करते हुए कृषि में मशीनीकरण के उप-मिशन (SMAM- Sub-Mission on Agricultural Mechanisation) पर चर्चा करें।
30 Nov, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था उत्तर की रूपरेखा:
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भारत में कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विस्तार करने और मशीनीकरण को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से वर्ष 2014-2015 में कृषि में मशीनीकरण के उप-मिशन (SMAM- Sub-Mission on Agricultural Mechanisation) की शुरुआत की गई।
यह उप-मिशन कृषि क्षेत्र के सतत् विकास के महत्त्वपूर्ण घटकों में से एक है। इसके अंतर्गत प्रशिक्षण, परीक्षण, कृषि मशीनरी और खरीद सब्सिडी के पारंपरिक घटकों को शामिल करते हुए उच्च तकनीक आधारित उच्च उत्पादक उपकरण केंद्र, फार्म मशीनरी बैंक की व्यवस्था की गई है। इस उप-मिशन के अन्य अवयवों में कृषि कार्यों के माध्यम से उत्पादन में वृद्धि, घाटे को कम करने, महँगे इनपुट के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से विभिन्न कृषि कार्यों की लागत को कम करने, प्राकृतिक संसाधनों की उत्पादकता बढ़ाने और विभिन्न कृषि गतिविधियों से संबंधित कठिनाइयों को कम करने आदि को शामिल किया गया है।
कृषि में मशीनीकरण के लाभ:
कृषि में मशीनीकरण के उपयोग से कार्य करने की गति के साथ-साथ गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भूमि की प्रति इकाई क्षेत्रफल की उत्पादकता में वृद्धि हो जाती है।
कृषि में मशीनीकरण से भूमि का अनावश्यक दोहन, सिंचाई के लिये अनियंत्रित जल उपयोग, उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल, मृदा अपरदन आदि जैसी समस्याओं को भी काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
कृषि में मशीनीकरण की हानियाँ:
कृषि में मशीनीकरण केवल बड़े आकार के खेतों के लिये ही कारगर है। इसलिये यह छोटे आकार के जोतों के लिये वित्तीय भार को ही बढ़ाएगा, जिससे इनपुट की तुलना में कम आउटपुट मिलने की संभावना होगी।
कृषि कार्यों में मशीनीकरण को बढ़ावा भारत जैसे देशों में बेरोज़गारी की समस्या को बढ़ा सकती है क्योंकि इससे कृषि कार्यों में मानवीय संलग्नता घटेगी।
मशीनीकरण से पर्यावरण प्रदूषण में इज़ाफा हो सकता है क्योंकि किसान खेतों को जल्दी खाली करने के लिये पराली जलाने जैसी गतिविधियों को अपनाएँगे।
यद्यपि कृषि में मशीनीकरण के कुछ नुकसान भी हैं फिर भी छोटे तथा सीमांत किसानों और बड़े किसानों के बीच समन्वय स्थापित कर कृषि में मशीनीकरण समय की मांग है जिससे भारतीय परिदृश्य में खेती-किसानी को ‘घाटे की सौदे’ जैसे संबोधन से उबारा जा सके।