गुरुत्वीय तरंग के बारे में बताते हुए लीगो परियोजना के महत्त्व पर प्रकाश डालें। भारत में लीगो को स्थापित किये जाने से होने वाले लाभ को स्पष्ट करें।
26 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकीगुरुत्वीय तरंग अंतरिक्ष के दिक्-काल रूपी तंतु में उत्पन्न होने वाली लहरें हैं, जिनकी उत्पत्ति ब्राह्मांडीय पिंडों के टकराव से होती है। ये दिक्-काल आयाम में तालाब में उत्पन्न होने वाली लहरों के समान मोड़ उत्पन्न करती हैं और अंतरिक्ष पदार्थों की गति को प्रभावित करती हैं। आइंस्टाइन ने अपनी सापेक्षता के सिद्धांत में ‘गुरुत्वीय तरंगों’ का जिक्र किया था।
लीगो (LIGO) का तात्पर्य लेज़र इंटरफेरोमेट्रिक ग्रेविटी वेब ऑब्जरवेटरी से है। यह भौतिकी की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला है, जिसका उद्देश्य गुरुत्वीय तरंगों के बारे में पता लगाना है।
लीगो का महत्त्वः
(i) लीगो का आरंभिक महत्त्व इस बात में है कि इसके द्वारा गुरुत्वीय तरंगों की प्रमाणिकता सिद्ध हो गई। इससे आइंस्टाइन के सापेक्षकता के सिद्धांत भी पुष्टि हुई और भौतिकी में शोध के लिये एक प्रामाणिक आधार प्राप्त हुआ।
(ii) लीगो परियोजना के माध्यम से गुरुत्वीय तरंगों पर शोध कर ब्लैकहोल तथा ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित अवधारणा को भी स्पष्ट किया जा सकता है, क्योंकि गुरुत्वीय तरंगों का संबंध ब्रह्मांड की उत्पत्ति से जुड़ा है।
(iii) इसके अलावा इसके माध्यम से वैज्ञानिक अंतरिक्ष में दिक्-काल आयाम में पदार्थों की गति को भी समझ पाएंगे, जो अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनुसंधान में सहायक होगा।
(iv) भविष्य में पृथ्वी से संबंधित समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है।
भारत में लीगो की स्थापना का महत्त्व
(i) अमेरिका के बाद भारत दूसरा देश होगा जहाँ लीगो की स्थापना की गई है। इससे संपूर्ण विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में भारत की साख बढ़ेगी।
(ii) स्वयं अपने देश में लीगो की स्थापना से भारतीय वैज्ञानिक गुरुत्वीय तरंगों को अच्छे से समझ पाएंगे, जो आगे चल कर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित कर सकता है। इसके लिये भारत की विदेशों पर निर्भरता घटेगी।
स्पष्ट है कि लीगो परियोजना भारत के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इससे भारत में अनुसंधान क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा भारतीय छात्रों और वैज्ञानिकों को नए क्षेत्रों को तलाशने की प्रेरणा मिलेगी।