नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में गरीबी निवारण के विशेषीकृत कार्यक्रमों के बावज़ूद इसके सीमित परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं। इस कथन पर टिप्पणी करते हुए इन्हें प्रभावी बनाने हेतु उपाय सुझाएँ।

    30 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • गरीबी निवारण के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालें।
    • इनसे भारत में पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा करें।
    • इन्हें प्रभावी बनाने हेतु उपायों को सुझाएँ।

    भारत में  आरंभ से ही गरीबी निवारण पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य लक्ष्य रहा है। गरीबी निवारण के लिये भारत में आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ  लक्षित तथा कल्याणकारी उपायों पर बल दिया गया है। 1970 के दशक में दांडेकर और रथ  के आकलन में भारत की साठ फीसदी जनसंख्या को गरीबी रेखा से नीचे बताया गया था। परिणामत: गरीबी हटाओ पर बल देते हुए लक्षित कार्यक्रम के रूप में 20 सूत्री कार्यक्रम तथा काम के बदले अनाज जैसे कार्यक्रम चलाए गए। इसके बाद प्रधानमंत्री रोज़गार योजना, ग्रामीण रोज़गार सृजन योजना, स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोज़गार योजना तथा मनरेगा जैसे कई लक्षित कार्यक्रम लगातार चलाए गए हैं। 

    किंतु विश्व बैंक के  के अनुसार अभी भी  विश्व में सर्वाधिक निर्धन लोग भारत में ही रहते हैं। 2011-12 में लगभग 27 करोड़ लोग निर्धनता रेखा से नीचे  जीते थे, अर्थात भारत का हर पांचवां व्यक्ति  निर्धनता रेखा से नीचे बसर कर रहा था। तुलनात्मक रुप से देखा जाए तो चीन में निर्धनता रेखा से नीचे की जनसंख्या 1981 के  88% से घट कर  2013 में 1.9% रह गई है। जबकि विश्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार 2015 में भी भारत की 12.4% जनसंख्या अत्यंत निर्धनता में बसर कर रही है। ये तथ्य बताते हैं कि कई गरीबी निवारण कार्यक्रमों के बावजूद भारत में इसके सीमित परिणाम  दृष्टिगोचर होते हैं।

    गरीबी समाप्त करने के उपाय:

    योजनाओं को और अधिक लक्षित बनाए जाने की आवश्यकता है, उदाहरण के लिये  भारत में गरीबी का सर्वाधिक संकेंद्रण अनुसूचित जनजातियों, ग्रामीण क्षेत्रों में  कृषकों तथा शहरों में अनियत मजदूरों में है। अतः गरीबी निवारण कार्यक्रमों में  इन्हें केंद्र पर रखे जाने की आवश्यकता है। गरीबी का एक बड़ा कारण रोज़गार  विहीन  समृद्धि भी है। लघु और कुटीर उद्योगों, टेक्सटाइल, कपड़े तथा चमड़ा जूते से संबंधित उद्योगों को तथा हस्तशिल्प को बढ़ावा देकर रोज़गार बढ़ाया जा सकता है और गरीबी कम की जा सकती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के उचित क्रियान्वयन से भी रोज़गार को बढ़ाया जा सकता है। एक समस्या गरीबी निवारण योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन से भी जुड़ी है। मनरेगा योजना के उचित प्रयोग से संसाधनों का विकास कर गरीबी को कम किया जा सकता है। गरीबी केन्द्रित योजनाओं के क्रियान्वयन को उचित किये जाने की आवश्यकता है। इन तत्त्वों के अलावा गरीबी निवारण के लिये सामाजिक तथा आर्थिक अवसंरचना का विकास भी आवश्यक है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow