हाल के वर्षों में भारत में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ है फिर भी यहाँ की आबादी का एक हिस्सा खाद्य सुरक्षा से वंचित है। खाद्य सुरक्षा के समक्ष आने वाली बाधाओं एवं मुद्दों की चर्चा करें।
08 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूप रेखा:
|
भारत में आजादी के समय से ही खाद्यान्न उत्पादन और खाद्य सुरक्षा भारत के लिये एक चुनौती रही है। खाद्यान्न उत्पादन पर ध्यान देने के कारण भारत में खाद्यान्न उत्पादन तेजी से बढ़ा है और कभी खाद्यान्न के क्षेत्र में दूसरों पर निर्भर यह देश आज ना केवल खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना है बल्कि इस क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण निर्यातक के रूप में भी उभरा है। हमारी आर्थिक समीक्षा में 2016-17 में खाद्यान्नों के रिकॉर्ड 273.38 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जो 2015-16 की तुलना में 8.67 प्रतिशत अधिक है। इससे पता चलता है कि खाद्य की उपलब्धता की दृष्टि से भारत सुरक्षित है।
किन्तु खाद्य सुरक्षा का तात्पर्य केवल भोजन की उपलब्धता से नहीं बल्कि सभी लोगों के लिये सदैव पोषण युक्त भोजन की उपलब्धता, पहुँच और उसे प्राप्त करने की सामर्थ्य से है। वर्तमान समय में विश्व कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में भुखमरी से पीड़ित लोगों की संख्या सर्वाधिक है। भारत का हर दूसरा बच्चा आयोडीन की कमी के कारण सीखने की कम क्षमता रखता है। आज भारत में 50% से अधिक महिलाएं और 70% से अधिक बच्चे रक्त की कमी से जूझ रहे हैं। दाल तथा प्रोटीन युक्त वस्तुओं में मुद्रास्फीति के कारण कीमत में वृद्धि हुई है जिससे लोगों तक इनकी पहुँच घटी है। यह आँकड़े दर्शाते हैं कि रिकॉर्ड खाद्य उत्पादन के बाद भी भारत की आबादी का एक हिस्सा खाद्य सुरक्षा से वंचित है।
भारत में खाद्य सुरक्षा के समक्ष आने वाली बाधाओं को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-
वर्तमान समय में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली, एकीकृत बाल विकास योजना, आंगनबाड़ी परियोजना, मध्याह्न भोजन योजना, अंत्योदय अन्न योजना, सामाजिक सुरक्षा योजना, अन्नपूर्णा योजना तथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम जैसी कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इन योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन, अवसंरचना का निर्माण तथा समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा की समस्या का समाधान किया जा सकता है।