बजट निर्माण के विभिन्न सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत करें।
09 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
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बजट का तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था के अनुमानित खर्चों और प्राप्तियों के विवरण से है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण का उल्लेख है। इसके अनुसार राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में भारत सरकार के लिये उस अवधि हेतु प्राक्कलित प्राप्तियों और व्ययों का विवरण रखवाएंगे। बजट का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है। इसके निर्माण से संबंधित सिद्धांतों को निम्न रूप में देखा जा सकता है-
वार्षिकी का सिद्धांत
इसका तात्पर्य है कि बजट प्रत्येक वर्ष तैयार किया जाना चाहिए। एक वर्ष बजट के लिये आदर्श समय माना जाता है क्योंकि वह एक इष्टतम समय है जो विधायिका द्वारा कार्यपालिका को दिया जाता है। इसके अलावा कार्यपालिका को भी बजट के प्रस्तावों को प्रभावी रूप से क्रियान्वन के लिये पर्याप्त समय मिल जाता है।
विलय अथवा समाप्त हो जाने का नियम
वार्षिकता का सिद्धांत यही दर्शाता है कि एक वर्ष के लिये आवंटित धन को निर्धारित समय अवधि में नहीं खत्म किया जा सका तो उसे सरकार के लिये अनुपलब्ध समझा जाए, जब तक की सरकार द्वारा इसे पुनः अगले वर्ष के लिये आवंटित नहीं किया जाता। इससे सरकार समयबद्ध रुप से आवंटित धन का प्रयोग करने के लिये प्रेरित होती है और योजनाओं का क्रियान्वयन उचित समय पर हो पाता है। इस प्रकार यह बजट नियंत्रण का एक प्रभावी उपकरण है।
राजकोषीय अनुशासन
इसका तात्पर्य यह है कि आय तथा व्यय की दृष्टि से बजट संतुलित होना चाहिए। आय से अधिक व्यय करने पर वित्तीय घाटा बढ़ता है जिससे देश की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। वही आय से कम खर्च किये जाने पर बजट का इष्टतम प्रयोग नहीं हो पाता। राजकोषीय अनुशासन वित्तीय घाटों को समाप्त करने के साथ-साथ वित्तीय अधिशेष को समायोजित करने में भी मदद करता है।
समावेशिता
बजट व्यापक होना चाहिए और इसमें विभिन्न बजट अनुमानों का समावेश होना चाहिये। एक समावेशी बजट में सरकार के सभी राजस्व और व्यय का लेखा-जोखा शामिल होता है जो व्यापार तथा अन्य आर्थिक गतिविधियों के मूल्यांकन में सहायक होता है। एक समावेशी बजट समाज के असुरक्षित समूह के लिये पर्याप्त धन आवंटित कराकर सामाजिक कल्याण को भी प्रोत्साहित करता है।
सटीकता (ACCURACY)
बजट में आने वाले वर्ष की प्राप्तियों तथा खर्चों का अनुमान लगाकर उसके अनुसार धन का आवंटन किया जाता है। सटीकता का तात्पर्य इस बात से है कि ये अनुमान वास्तव में कितने सही होते हैं। बजट अनुमानों की सटीकता सरकारी योजनाओं की प्रभाविता के लिये आवश्यक है।
पारदर्शिता और उत्तरदायित्व
पारदर्शिता और उत्तरदायित्व संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तावित सुशासन के 8 संकेतकों में शामिल किये गए हैं। इसका तात्पर्य है कि सरकार बजट के आँकड़ों को सार्वजनिक करेगी। पारदर्शिता के लिये बजट के राजस्व और पूंजी खाते को अलग-अलग कर दिखाया जाता है। भारत में संसद के माध्यम से बजट के उत्तरदायित्व को सुनिश्चित किया जाता है।
बजट निर्माण के इन सिद्धांतों का पालन करके एक अच्छे बजट का निर्माण किया जा सकता है।