भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का सामाजिक क्षेत्र के उत्थान में क्या महत्त्व है? वर्णन करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- प्रस्तावना
- सामाजिक उत्थान के क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का योगदान
- निष्कर्ष
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1969 में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए इसरो का गठन किया गया। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की विकास यात्रा आज इस मुकाम पर पहुँच गई है कि वह हमारे देश के ग्रामीण एवं दुर्गम क्षेत्रों के सामाजिक उत्थान में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का ग्रामीण तथा पिछड़े क्षेत्रों के विकास में महत्त्व को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
- उपग्रह संचार प्रणाली का प्रयोग ग्रामीण जनता को ध्यान में रखते हुए दूर-दराज व पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा व प्रशिक्षण के लिये किया जा रहा है। वर्ष 2004 में इसरो द्वारा प्रक्षेपित जीसैट-3 या एडूसैट इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
- भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सेवाओं की बदहाल स्थिति से निपटने में भी अंतरिक्ष कार्यक्रम काफी महत्त्वपूर्ण है। दूर बैठे चिकित्सक दूर संचार के माध्यम से चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराते हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों को बड़े अस्पतालों से दूरस्थ चिकित्सा या टेली मेडीसीन द्वारा जोड़ना एक सरल उपाय है।
- किसान चैनल, किसान कॉल सेंटर, फसलों का पूर्व मूल्यांकन, भूमि उपयोग व भूमि आवरण के संबंध में जानकारी प्रदान करने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी महत्त्वपूर्ण है। अतः विभिन्न तकनीकों का प्रयोग कृषि संसाधनों के प्रबंधनों में किया जा रहा है।
- आपदा प्रबंधन व बचाव में आईआरएनएसएस (IRNSS) जैसी प्रणालियों की अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इससे प्राप्त आँकड़ों के आधार पर आपदा के दौरान हुई क्षति का प्रभाव मूल्यांकन तथा लोगों के पुनर्स्थापन में काफी मदद मिलती है।
- अवसंरचनात्मक विकास जैसे- सड़क निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में नहर निर्माण कार्य व सरकार द्वारा किये जा रहे अन्य विकास के कार्यों की निगरानी एवं प्रबंधन किया जा सकता है। जिससे भ्रष्टाचार में कमी की जा सकती है तथा प्राकृतिक संसाधन का समुचित दोहन सुनिश्चित हो सकता है।
उपरोक्त बिंदुओं से स्पष्ट होता है भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम भारत के सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक क्षेत्र के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।