‘अर्थ ओवरशूट डे’ पारिस्थितिक असंतुलन का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। इस प्रवृत्ति को बदलने के लिये क्या कदम ज़रूरी हैं?
19 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणवर्ष के जिस दिन प्रकृति पर मानवता की वार्षिक मांग, पृथ्वी के अक्षय संसाधनों को पुनर्जीवित करने की क्षमता को पार कर जाती है, वह दिन ओवरशूट दिवस कहलाता है। पृथ्वी का ओवरशूट दिवस सन 2000 में अक्तूबर की शुरुआत से सन 2017 में 2 अगस्त तक आ पहुँचा है। यह वह अनुमानित दिन है, जब मनुष्य उस वर्ष के लिये निर्धारित प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग कर चुका होता है। इस सीमा के बाद उपभोग उस वर्ष में प्रकृति द्वारा मनुष्य पर ऋण होता है। इसलिये ‘अर्थ ओवरशूट डे’ को ‘पारिस्थितिकी ऋण दिवस’ भी कहा जाता है।
महत्त्वपूर्ण है कि ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के अनुसंधान के अनुसार केवल सात महीनों में ही (2 अगस्त, 2017) मनुष्यों ने प्रकृति द्वारा मनुष्यों के लिये निर्धारित पूरे वर्ष के बजट का उपयोग कर लिया।
भारत अपने वर्तमान इकोलॉजिकल फुटप्रिंट और जैवक्षमता को निम्न तीन सरल उपायों द्वारा बेहतर प्रबंधित कर सकता है-