पारिस्थितिकी तंत्र से आप क्या समझते हैं? इसकी की संरचना को स्पष्ट करें?
05 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर की रूपरेखा:
|
जैविक समुदाय और अजैविक घटकों के अंतर्संबंधों से निर्मित संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं। वास्तव में जीव जीवन के लिए आपस में तथा अपने पर्यावरण से जुड़े रहते हैं और मिलकर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। पारिस्थिकी तंत्र अथवा परितंत्र का आकार एक छोटे तालाब से लेकर एक विशाल महासागर तक हो सकता है-
पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना का तात्पर्य इस बात से है कि इसके विभिन्न अव्यव आपस में किस प्रकार जुड़े हुए हैं। पारिस्थितिकी तंत्र का मुख्य संरचनात्मक लक्षण जाति रचना तथा स्तर विन्यास है। किसी पारिस्थितिकी तंत्र में जाति रचना वहाँ के पर्यावरण पर निर्भर करती है। उष्णकटिबंधीय प्रचुर वनों में जीवन के अनुकूल परिस्थिति होने के कारण उष्णकटिबंधीय वनों की संरचना में बहुसंख्यक जैविक जातियों को देखा जा सकता है, वहीं मरुस्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र अल्प जातियों की संख्या को दर्शाता है।
पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना का स्तर-विन्यास खाद्य-श्रृंखला तथा उत्पादक एवं उपभोक्ता के भोजी संबंधों के द्वारा निर्धारित होता है।इसके प्रथम स्तर पर उत्पादक पौधे होते हैं जो सूर्य के प्रकाश तथा अजैविक घटकों की मदद से अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। इसके दूसरे स्तर पर शाकाहारी जीव तथा तृतीय पोषी स्तर पर मांसाहारी जीव होते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना में ऊर्जा का प्रवाह खाद्य श्रृंखला के निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर होता है। सजीवों की वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैव-पदार्थ तथा मृदा जैसे अजैविक घटकों में संचित होता है। इन पोषक तत्त्वों का प्रवाह पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना में चक्रीय रुप से होता रहता है।
पारिस्थितिकी तंत्र के विशेष घटक विशिष्ट संरचना में जुड़कर पारिस्थितिकी तंत्र को स्थायित्व प्रदान करते हैं।