‘संभार कार्य निष्पादन सूचकांक’ में भारत की स्थिति का उल्लेख करते हुए संभार तंत्र विकास के महत्त्व को दर्शाएँ इससे संबंधित चुनौतियों तथा उनके समाधान हेतु सुझाई गई कार्य-योजना पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- सांभर तंत्र के बारे में बताते हुए भारत के सन्दर्भ में ‘संभार कार्य निष्पादन सूचकांक’ पर प्रकाश डालें।
- इस क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों और इनके समाधान की चर्चा करें।
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संभार तंत्र का तात्पर्य परिवहन, भंडारण, प्रबंधन, वेयरहाउसिंग, वस्तु की सजावट तथा पैकिंग और सूचना संबंधी सुविधाओं से है। यह उत्पादक से उपभोक्ता के बीच वस्तुओं के प्रवाह को आसान बनाकर व्यापार तथा उत्पादन संबंधी समस्याओं को दूर करता है। विश्व बैंक द्वारा जारी संभार कार्य निष्पादन सूचकांक में भारत का स्थान सकारात्मक रहा है। 2014 में 54 वें स्थान की तुलना में भारत 2016 में 35 वें स्थान पर पहुँच गया है। पिछले 5 वर्षों के दौरान भारतीय संभार तंत्र उद्योग में लगभग 8% की दर से वृद्धि हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये यह क्षेत्र रोजगार की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान समय में यह 22 मिलियन से भी अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इसके अलावा अन्य उद्योगों और सेवाओं के विकास के लिये भी संभार तंत्र का विकास आवश्यक है।
संभार तंत्र से संबंधित चुनौतियाँ
- भारतीय संभार तंत्र की एक बड़ी चुनौती इसकी उच्च लागत है। उच्च लागत के कारण वैश्विक बाजार में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है।
- संभार तंत्र की एक समस्या यह है कि यहाँ अभी भी वस्तुओं के परिवहन के लिये रेलवे के स्थान पर सड़कों का अधिक प्रयोग होता है जिससे परिवहन भाड़े में वृद्धि होती है। इसके अलावा अदक्षतापूर्ण वाहनों का प्रयोग भी क्षेत्र की एक बड़ी समस्या है।
- इसके अलावा भंडारण संबंधी सुविधाओं का अभाव तथा विभिन्न सामग्रियों के संरक्षण हेतु अविकसित अवसंरचना भी भारतीय संभार तंत्र को कमजोर करती है।
- बाझिल एवं दोहरी प्रक्रियाओं के द्वारा संभार तंत्र से जुड़े कार्यों में जटिलता उत्पन्न होती है। इससे संबंधित कार्यों में अनावश्यक विलंब होता है।
- इसके अलावा आवश्यकता, माँग तथा लाभ के अनुसार माल के निर्बाध संचलन का भी अभाव है।
संभार तंत्र के विकास हेतु चलाई गई कार्य योजना:
- संभरण कार्यों में उच्च पारदर्शिता लाने और दक्षता बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय एकीकृत संभार नीति तैयार करना।
- संभरण संबंधी मामलों के त्वरित क्रियान्वयन के लिये एक एकीकृत IT प्लेटफार्म का विकास करना।
- संभार तंत्र से संबंधित प्रक्रियाओं को तीव्र तथा सरल बनाना।
- 2022 तक इसकी लागत को जीडीपी के 10% से कम करना।
- कंटेनर फ्रेट स्टेशन, एयरप्लेन स्टेशन तथा इनलैंड कंटेनर डिपो जैसी अवसंरचनाओं के लिये तेजी से स्वीकृति देना।
- सेवाओं की गुणवत्ता हेतु सेवा प्रदाताओं के लिये पेशेवर मानकों का आरंभ करना।
- इस क्षेत्र में उच्च स्तर की प्रौद्योगिकी के प्रयोग को प्रोत्साहित करना उदाहरण के लिये परिवहन सुविधाओं को GPS से जोड़ना, वस्तुओं के आगमन को ऑनलाइन ट्रैकिंग सर्विस से जोड़ना आदि।
- 2022 तक इस क्षेत्र में 40 मिलियन नौकरियाँ बढ़ाना।
इन कार्यनीतियों को अपनाकर भारतीय सांभर तंत्र से संबंधित चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है तथा इसे और भी प्रतिस्पर्द्धी बनाया जा सकता है।