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प्रश्न :
वैश्विक जलवायु परिवर्तन से भारतीय कृषि क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जलवायु अनुकूलन कृषि की आवश्यकता पर बल देते हुए जलवायु स्मार्ट कृषि की संकल्पना पर प्रकाश डालें । भारत द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि को बढ़ावा देने के लिये किन उपायों को अपनाया गया है? चर्चा करें।
09 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भारत में जलवायु अनुकूलन कृषि कि आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए जलवायु स्मार्ट कृषि की संकल्पना पर प्रकाश डालें।
- बताएँ कि इसके लिये भारत में क्या कदम उठायें जा रहें हैं।
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन की घटना से तापमान और वर्षा से संबंधित घटनाओं में अनिश्चितता बढ़ी है। प्रचंड मौसम संबंधी घटनाओं जैसे सूखा तथा बाढ़ जैसी घटनाओं की तीव्रता तथा बारंबारता में वृद्धि हुई है। इसका प्रभाव भारतीय कृषि पर भी पड़ा है क्योंकि भारत का दो तिहाई कृषि क्षेत्र सिंचाई हेतु वर्षा पर निर्भर है। धारणीय कृषि को बढ़ावा देने के लिये जलवायु अनुकूलन कृषि आज की आवश्यकता है। जलवायु अनुकूलन कृषि में उन्नत कृषि पद्धतियों तथा फसलों का प्रयोग किया जाता है जिससे इन पर जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों को कम किया जा सके।
जलवायु स्मार्ट कृषि एक ऐसा दृष्टिकोण है जो कृषि को बदलते जलवायु के अनुरूप ढालकर कृषि संबंधित समस्याओं को कम करता है। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, जलवायु परिवर्तन के संबंध में कृषि को अनुकूल बनाना और कृषि क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है। ध्यातव्य है कि धारणीय विकास लक्ष्यों में भुखमरी को समाप्त करने तथा खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने पर बल दिया गया है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती इन लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधक बन सकती है। जलवायु स्मार्ट कृषि के द्वारा सतत् कृषि को बढ़ावा देकर पोषण युक्त खाद्य सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है । यह कृषकों को उनकी स्थानीय दशाओं के अनुसार उपयुक्त कृषि रणनीतियों की पहचान करने तथा उसके अनुरूप कार्य करने को प्रोत्साहित करती है।
भारत द्वारा जलवायु अनुकूलन कृषि को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत जलवायु विभिन्नता और जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों को समाप्त करने के लिये जलवायु अनुकूलन प्रौद्योगिकी का विस्तार किया जा रहा है। वर्तमान समय में जलवायु अनुकूलन कृषि संबंधी अनुकूलन प्रौद्योगिकी तथा नवाचार के प्रयोगों को 23 राज्यों के 153 मॉडल गाँवों में शामिल करते हुए किसान विकास केंद्र के द्वारा प्रदर्शित किया जा रहा है। इसके अलावा, अब तक 623 आकस्मिकता योजनाएं तैयार की गई है तथा इन्हें वेबसाइट पर डाला गया है ताकि सूखा, बाढ़, तूफान, ओलावृष्टि और शीतलहर जैसे मौसम संबंधी विभिन्न आपदाओं का प्रबंधन किया जा सके। इसके अलावा, देश में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिये आजीविका योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रेरित और प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके प्रयोग से कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा और भारत में धारणीय कृषि को बढ़ावा दिया जा सकेगा।
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