शहरी प्रवास के कारण गाँवों में कृषि कार्यों में महिलाओं की भूमिका में वृद्धि हुई है। भारत में कृषि क्षेत्र में महिलाओं के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए बताएँ कि इस क्षेत्र में महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के लिये किन उपायों पर बल दिया गया है?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- भारतीय कृषि में महिलाओं के महत्त्व को स्पष्ट करें।
- बताएँ कि इस क्षेत्र में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिये कौन से उपायों पर बल दिया गया है।
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राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार कृषि फसल उत्पादन, पशुधन उत्पादन, बागवानी, मत्स्य उत्पादन तथा सामाजिक वानिकी जैसे कार्यों में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथा निर्णायक है। किंतु पुरुष प्रधान समाज की पितृ सत्तात्मक विचारधारा के कारण इस बात को पर्याप्त महत्त्व प्रदान नहीं किया गया है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं के महत्त्व को निम्नलिखित रुप में देखा जा सकता है-
- वर्तमान में कृषि कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं के द्वारा निर्मित है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार कुल महिला कामगारों में से 55% कृषि श्रमिक और 24% खेतिहर थी।
- साथ ही, नगरीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण पुरुषों का गांव से शहरों में होने वाले प्रवास में वृद्धि हुई है। इससे ग्रामीण भारत के कृषि कार्यों में महिलाओं की भूमिका बढ़ी है।
- इसके अलावा, कृषि उपरांत कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण तथा भंडारण जैसे कार्यों में भी महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- पशुपालन जैसे कार्यों में पारंपरिक रुप से महिलाओं का महत्त्व अधिक रहा है। राजस्थान में दुग्ध उत्पादन से संबंधित अधिकांश सहकारी समितियों की सदस्य महिलाएँ हैं।
- वैश्विक रूप से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और स्थानीय कृषि व्यवस्था बनाए रखने में भी महिलाओं की भूमिका निर्णायक रही है।
- खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार कृषि क्षेत्र के एकीकृत प्रबंधन और दैनिक घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति में विविध प्राकृतिक और कृषिगत संसाधनों के प्रयोग का श्रेय भी ग्रामीण महिलाओं को ही जाता है।
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि भारत में महिलाओं का महत्त्व लगातार बढ़ा है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं को मुख्यधारा में लाने के लिये निम्नलिखित उपाय किए गए हैं।
- सभी महत्त्वपूर्ण योजनाओं तथा विकास क्रियाकलापों में महिला लाभार्थियों हेतु बजट आवंटन का कम से कम 30% अलग रखना।
- महिलाओं तक विभिन्न योजनाओं के लाभ को संरक्षित करने के लिये महिला केंद्रित क्रियाकलापों को आरंभ करना।
- आजीविका योजना के माध्यम से महिलाओं को कृषि, पशुपालन तथा बागवानी जैसे कार्यों के लिये प्रोत्साहित करना।
- महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से क्षमता निर्माण के द्वारा महिलाओं को सूक्ष्म ऋण और कृषि संबंधी कार्यों से जोड़ना।
- विभिन्न सहकारी समितियों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना। उदाहरण के लिये झारखण्ड के दुमका जिले में एकता महिला कुक्कुट पालन सहकारी समिति का संचालन महिलाओं के द्वारा ही किया जा रहा है।
- इसके अलावा कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को महत्त्वपूर्ण मानते हुए कृषि और किसान मंत्रालय ने प्रत्येक वर्ष 15 अक्तूबर को महिला किसान दिवस घोषित किया है। इससे भी कृषि क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को प्रोत्साहन मिलेगा।
इन क़दमों से कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और भी बढ़ेगी तथा समावेशी विकास की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा।