पिछले कुछ वर्षों में भारत की विदेश नीति ने अग्रसक्रियता (Proactivism) का परिचय दिया है और लगभग सभी बड़े मंचों पर भारत को ओजपूर्ण समर्थन भी प्राप्त हुआ है। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत और लैटिन अमेरिकी देशों के मध्य हाल ही में सम्पन्न महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का उल्लेख करें।
26 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर की रूपरेखा :
1990 के पश्चात् वैश्वीकरण के दौर में भारत ने अपनी विदेश नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन करते हुए इसमें में गुटनिरपेक्षता के साथ-साथ व्यावहारिक एवं पहलकारी तत्त्व भी जोड़ लिये; जिसका प्रमाण लगभग सभी देशों से द्विपक्षीय संबंध एवं विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ती भारत की भूमिका से मिलता है।
‘योग’ द्वारा ‘सॉफ्ट पॉवर’ के रूप में प्रसार की बात हो या पेरिस जलवायु सम्मेलन में साझी किंतु भिन्न ज़िम्मेदारी की अवधारणा संबंधी, विश्व व्यापार संगठन में विकासशील देशों के हित संबंधी मुद्दे हों या संयुक्त राष्ट्र में बदलाव संबंधी, एमटीसीआर समूह में सदस्यता एवं विभिन्न देशों से ‘परमाणु संधि’ के संदर्भ में भारत ने स्वयं को उभरती शक्ति के रूप में प्रदर्शित किया है।
इसी क्रम में भौगोलिक रूप से दूर तथा समानता के तत्वों के अभाव में द्विपक्षीय संबंधों की उदासीनता से ग्रस्त लैटिन अमेरिकी देशों के साथ परस्पर सहयोग बढ़ाकर द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने पर विशेष बल दिया गया।
इन संबंधों को हाल में संपन्न निम्नलिखित समझौतों एवं अन्य सहयोग के तत्वों के माध्यम से समझा जा सकता हैः