हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा विदेशी व्यापार नीति (2015-20) की मध्यावधि समीक्षा प्रस्तुत की गई। इसके महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए इसकी प्रभाविता पर विचार करें।
12 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा:
|
2015 में जारी की गई विदेशी व्यापार नीति में 5 सालों की समय सीमा में भारत के विदेशी व्यापार को सकारात्मक रूप से बढ़ाने पर बल दिया गया था। इसकी मध्यावधि समीक्षा प्रक्रियाओं के सरलीकरण के द्वारा इसकी प्रभाविता में वृद्धि करेगी। साठ ही हाल ही में लागू किए गए जीएसटी के अनुरूप इसे ढाल कर वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इसके प्रमुख बिंदुओं को निम्नलिखित रुप में देखा जा सकता है-
स्पष्ट है कि विदेशी व्यापार नीति रोजगार-मूलक स्वरूप से युक्त है। इससे भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के विकास को बल मिलेगा तथा श्रम ग्रहण क्षेत्र के विकास से रोज़गार की समस्या का समाधान हो पाएगा। अवसंरचना संबंधी समस्याओं के समाधान से वस्तुओं की उत्पादन लागत में कमी आएगी। जिससे वस्तुओं के मूल्य घटने पर इनकी निर्यात में वृद्धि होगी। वाणिज्य निर्यात की योजना तथा सेवा निर्यात योजना के कुशल क्रियान्वयन से वस्तु तथा सेवा इन दोनों ही क्षेत्रों में भारत का व्यापार बढ़ेगा। पारंपरिक और प्रचलित उत्पादों पर बल देने से इसका लाभ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी प्राप्त होगा। उदाहरण के लिये इन क्षेत्रों में हथकरघा उत्पादों, किताबों, चमड़े के जूते-चप्पल और खिलौनों से संबंधित उद्योगों का विकास होगा। किंतु योजना का संपूर्ण लाभ सुनिश्चित करने के लिये इसका उचित क्रियान्वयन आवश्यक है। क्रियान्वयन को सुनिश्चित कर 2020 तक देश के निर्यात को 900 अरब डालर तक पहुँचाया जा सकता है और विश्व निर्यात में भारत की हिस्सेदारी को मौजूदा 2% से बढ़ाकर 3.5% तक किया जा सकता है।