जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क का 23वाँ सम्मेलन जर्मनी के बॉन शहर में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों की चर्चा करते हुए इसकी कमियों को स्पष्ट करें।
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- कॉप-23 से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों को स्पष्ट करें।
- इसकी कमियों पर प्रकाश डालें।
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जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन विश्व में जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों के समाधान हेतु एक महत्त्वपूर्ण निकाय है। जर्मनी के बॉन शहर में आयोजित कोप-23 में पर्यावरण परिवर्तन से बचाव हेतु वित्तीय सहायता, समन कार्यवाही, विभेदीकरण और नुकसान एवं क्षति से संबंधित मुद्दों को व्यावहारिक बनाने पर बल दिया गया। इसमें हुई प्रगति को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
- कोयला ग्रीन हाउस गैसों का एक प्रमुख उत्सर्जक है। जबकि अधिकांश विकासशील देशों में ऊर्जा के सबसे महत्त्वपूर्ण साधन के रुप में कोयले का प्रयोग अभी भी जारी है। अतः इस सम्मेलन में चरणबद्ध रूप से कोयले को प्रति प्रयोग को समाप्त करने की बात की गई।
- बढ़ते हुए ग्रीन हाउस गैसों पर चिंता जताते हुए कृषि कार्यों के माध्यम से होने वाले ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने की बात की गई।
- इसके अलावा, निर्माण के क्षेत्र में ग्रीन बिल्डिंग्स के निर्माण के साथ-साथ इको मोबैलिटी को बढ़ावा देने के बात की गई।
- इसमें स्थानीय समूह की भागीदारी के महत्त्व को स्वीकार कर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिये स्थानीय उपायों पर बल देने की बात की गई।
- प्रदूषण में लिंग संबंधी कारकों की पहचान कर इसे लैंगिक दृष्टि से भी संतुलित बनाया गया।
- इस सम्मेलन में देशों के द्वारा ‘टलानोआ’ वार्ता के लिये एक रोडमैप को लाया गया है। ‘टलानोआ’ प्रशांत क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाला एक परंपरागत शब्द है जो एक समावेशी, प्रभावी एवं पारदर्शी वार्ता की प्रक्रिया को दर्शाता है।
कमियाँ-
- इस सम्मेलन में अमेरिका द्वारा पेरिस समझौते से अलग होने के मुद्दे को नहीं उठाया गया, जबकि वर्तमान में अमेरिका दुनिया का सबसे बड़े ग्रीन उत्पादक देशों में शामिल है।
- विभिन्न देशों की कथनी तथा करनी में विभेद को भी देखा जा सकता है। उदाहरण के लिये चीन द्वारा कोयले के प्रयोग को कम करने की बात को स्वीकार करने के बाद भी उसके द्वारा अन्य देशों में कोयले पर आधारित बिजली संयंत्रों का विकास किया जा रहा है।
- इसके अलावा, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि से संबंधित कारणों पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। ध्यातव्य है कि कुछ वर्षों तक स्थिर रहने के बाद 2017 में ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 2% की वृद्धि हुई।
- इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के तहत विकासशील देशों को मजबूत वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने के मुद्दे पर भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया।
जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान हेतु विकसित तथा विकासशील देशों को अपने संकीर्ण स्वार्थों से बाहर निकल कर आगे आना होगा तभी इस समस्या का स्थायी समाधान हो पाएगा।