भारत राज्य वन रिपोर्ट पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्त्व की चर्चा करे
16 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर की रूपरेखा:
|
हाल ही में वर्ष 2017 के लिये भारत का वन रिपोर्ट जारी किया गया है। इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
महत्त्व
वन क्षेत्र रिपोर्ट भारत में हरित क्षेत्र की वर्तमान स्थिति को बताकर यह स्पष्ट करती है कि किस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय वन नीति के तहत भारत के कम से कम 33% क्षेत्र में वनों का होना आवश्यक है, किंतु वर्तमान समय में केवल 24.39 प्रतिशत क्षेत्र वन और वृक्षों से अच्छादित है। यह दर्शाता है कि भारत में वन क्षेत्र में वृद्धि किये जाने की आवश्यकता है। इस सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय वन क्षेत्र में 0.21% की वृद्धि होना सकारात्मक है किंतु 33% के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये वन क्षेत्र की वृद्धि में तीव्रता लाए जाने की आवश्यकता है। वृद्धि की दृष्टि से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल राज्य में वन क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि देखा गई है। ज्ञातव्य है कि 2013 के वन सर्वेक्षण में आंध्र प्रदेश वन क्षेत्र में वृद्धि के हिसाब से सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल था। किंतु वर्तमान समय में यह सर्वाधिक वृद्धि वाले राज्य के रूप में उभरा है। यह दर्शाता है कि अन्य राज्य भी आंध्र प्रदेश के मॉडल पर चलकर अपने क्षेत्र में वृद्धि कर सकते हैं। दक्षिण राज्यों में वन क्षेत्र में वृद्धि होना जहाँ प्रेरणादायक है वही पूर्वोत्तर राज्यों में वन क्षेत्रों का घटना चिंताजनक है। इस प्रवृति को रोकने के लिये झूम की खेती को नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है। वन क्षेत्र में कमी का एक बड़ा कारण वनों में लगने वाली आग तथा खनन गतिविधियाँ भी है। यह सर्वे इन क्रियाविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर भी बल देता है।
विश्व में जनघनत्व के रूप से सबसे सघन देशों में शामिल होने के बाद भी भारत का हरित क्षेत्र की दृष्टि से विश्व के प्रथम 10 देशों में शामिल होना सकारात्मक और प्रेरणादायक तो है, किंतु भारत के लक्ष्य की दृष्टि से यह पर्याप्त नहीं है। भारत के वन क्षेत्र को 33% के लक्ष्य तक बढ़ाने के लिये एक एकीकृत नीति की आवश्यकता है।