‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना संपूर्ण सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधन, वितरण नेटवर्क और खेत-स्तरीय अनुप्रयोग समाधान विकसित करके सूखे की समस्या से स्थायी निजात दिलाने में सक्षम है।’’ कथन के संदर्भ में योजना की चर्चा करें।
26 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाभारत की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यहाँ विश्व की आबादी की 17 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है। इतनी बड़ी जनसंख्या के लिये खाद्य आपूर्ति करना अपने आप में एक बड़ी समस्या है। सिंचाई कृषि के लिये प्राण वायु है। भारत की कुल कृषि योग्य भूमि में कुल क्षेत्रफल का केवल 48 प्रतिशत भूमि ही सिंचित है। ऐसे में विश्व का मात्र 4 प्रतिशत जल संसाधन उपलब्धता के साथ शेष 52 प्रतिशत असिंचित कृषि भूमि तक सिंचाई सुविधा केवल समुचित जल प्रबंधन के द्वारा ही संभव है।
देश में सूखे की समस्या से स्थायी निजात पाने के लिये केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की शुरुआत की गई। इसका उद्देश्य ‘जल संचय’ और ‘जल सिंचन’ के माध्यम से वर्षा जल का उपयोग करके संरक्षित सिंचाई का सृजन करना है। पानी के अपव्यय को कम करना, ‘हर खेत को पानी’ उपलब्ध कराकर कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, सिंचाई में निवेश को आकर्षित करना एवं निवेश में एकरूपता लाना योजना का प्रमुख उद्देश्य है।
इस योजना के तहत 2015-16 से 2019-20 के दौरान सिंचाई आपूर्ति श्रृंखला, जल संसाधन, वितरण नेटवर्क और खेत स्तरीय अनुप्रयोग समाधान विकसित कर हर खेत को सिंचित भूमि में बदला जाएगा। देश के 219 गंभीर सूखा प्रभावित जिलों में सूखा शमन, भूजल पुनर्भरण तथा सूक्ष्म जल भंडारण का सृजन किया जा रहा है। कृषि मंत्रलय ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई को क्रियान्वित कर सूक्ष्म सिंचाई के अधीन अब तक का सर्वाधिक क्षेत्रफल (18,38 लाख हेक्टेयर) लाने में सफल हुआ है।
इस योजना के मिशन मोड वाले क्रियान्वयन में जल संसाधन मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय सम्मिलित हैं। जल संसाधन मंत्रालय जल निकाय सृजन, पुनर्भण्डारण तथा उपलब्ध जलस्रोतों का मरम्मत करेगा तथा संरक्षित जल को जल वितरण नेटवर्क की सहायता से खेत तक पहुँचाने का कार्य करेगा। कृषि मंत्रालय, वर्षा जल संरक्षण, जल बहाव का नियंत्रण, कृषि वानिकी तथा चरागाह विकास आदि कार्यक्रमों को क्रियान्वित करेगी। ड्रिप स्प्रिंकलर, रेनगन आदि सूक्ष्म सिंचाई योजना की सहायता से जल प्रयोग क्षमता का विकास किया जाएगा।
मानसून की अनिश्चितता, भूजल संसाधन का ” अतिदोहन, जल स्रोतों का संकूचन, मरुस्थलीकरण, निर्वनीकरण आदि समस्याओं का सामना करते हुए असिंचित कृषि भूमि में उन्नत कृषि अपनाने हेतु आवश्यक जल की आपूर्ति केवल समुचित जल प्रबंधन के माध्यम से ही संभव है। यद्यपि योजना के तीव्र क्रियान्वयन से सरकार की प्रतिबद्धता साफ झलकती है, फिर भी किसानों में जागरूकता की कमी के कारण यह योजना अभी भी परवान नहीं चढ़ पाई है। किसान सिंचाई की नई तकनीक को अपनाने से कतरा रहे हैं। अतः योजना के सफल क्रियान्वयन के लिये किसानों में जागरूकता लाना सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिये।