संरक्षित कृषि से क्या तात्पर्य है? यह जलवायु परिवर्तन जैसे खतरों के कारण कृषि उत्पादकता को किस प्रकार प्रभावित किये बिना खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकती है।
27 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण
उत्तर की रूपरेखा:
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संरक्षित कृषि, कृषि की वह पद्धति है जिसमें फसलों एवं सब्जियों को जैविक व अजैविक कारकों से बचाकर उगाया जाता है। संरक्षित कृषि पद्धति के अंतर्गत संसाधन संरक्षण तकनीक की सहायता से टिकाऊ उत्पादन स्तर के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए फसल का उत्पादन किया जाता है। संरक्षित कृषि मृदा की ऊपरी या निचली सतह के अंदर प्राकृतिक जैविक क्रियाओं को बढ़ाने पर आधारित है। संरक्षण खेती में न्यूनतम जुताई, स्थायी रूप से मिट्टी को आच्छादित करना तथा फसल विविधीकरण को अपनाकर ही फसल उत्पादन के स्तर को टिकाऊ बनाया जा सकता है। संरक्षित कृषि प्रणाली में उपलब्ध संसाधनों का ईष्टतम् उपयोग एवं उनका संरक्षण करते हुए किसी स्थान की भौतिक, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति के अनुसार टिकाऊ फसल उत्पादन प्राप्त के लिये नए-नए तरीके अपनाए जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन में संरक्षित कृषि
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन की वज़ह से असमय वर्षा, अनियमित वर्षा जल का वितरण, ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, कीट व बीमारियों का प्रकोप इत्यादि जैसी कई गंभीर समस्याएँ पूरे विश्व के सामने बाँहें फैलाए खड़ी हैं। हमें अपना भविष्य सुरक्षित रखने के लिये प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रबंधन के प्रति आज से ही सतर्क होने की आवश्यकता है। आज इस प्रतिस्पर्द्धा के दौर में किसान अधिक-से-अधिक उपज प्राप्त करने के लिये अपने खेतों में अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग कर रहा है जिससे मिट्टी में पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्त्वों का संतुलन दिन-प्रतिदिन बिगड़ रहा है। जहाँ एक तरफ मृदा की घटती उत्पादन क्षमता समस्या है वहीं दूसरी तरफ जनसंख्या की वज़ह से खाद्यान्न सुरक्षा भी चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में संरक्षित कृषि ही हमारे सामने एकमात्र विकल्प के रूप उभर कर सामने आती है।
संरक्षित कृषि पद्धति के निम्न लाभ हैं: