भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विभिन्न चरणों की चर्चा करें। इसके समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों कौन-सी हैं?
उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- प्रस्तावना
- परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के विभिन्न चरण
- परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ
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आजादी के सत्तर वर्षों के बाद यदि हम अब तक की अपनी कामयाबियों एवं खामियों पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि पिछले सत्तर वर्षों में हमने विकास का नया और लंबा सफर तय किया है। किसी भी देश के विकास में ऊर्जा सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी राष्ट्र के संपूर्ण विकास के लिये विद्युत उपलब्धता एवं इसकी आबाध आपूर्ति का होना आवश्यक है। विद्युत के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से डॉ. होमी जहाँगीर भाभा ने भारत के त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की नींव रखी।
इसका उद्देश्य था कि यूरेनियम तथा दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों के मोनाजाईट रेत में व्याप्त थोरियम भंडार के उपयोग से देश के लिये दीर्घकालिक ऊर्जा स्वतंत्रता सुनिश्चित करना। इस कार्यक्रम का अंतिम उद्देश्य भारत के थोरियम भंडार को देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाना है।
भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम एक तीन चरणीय कार्यक्रम है:
- भारत में नाभिकीय कार्यक्रम के प्रथम चरण में दाबित भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) प्रौद्योगिकी पर आधारित था। इस प्रौद्योगिकी के तहत सीमित यूरेनियम स्रोतों का सर्वोत्तम उपयोग करना तथा द्वितीय चरण के ईंधन हेतु उच्चतर प्लूटोनियम का उत्पादन करना था। पीएचडब्ल्यूआर तकनीक में मंक या शीतलक के रूप में भारी जल का उपयोग किया जाता था। इस चरण में पहले दो रिएक्टर कनाडा के सहयोग से राजस्थान के रावतभाटा में बनाए गए।
- परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के द्वितीय चरण में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर का उपयोग किया गया। फास्ट ब्रीडर रिएक्टर प्रथम चरण में प्रयुक्त ईंधन के पुनर्प्रसंस्करण से प्राप्त प्लूटोनियम-239 और प्राकृतिक यूरेनियम का प्रयोग करता है। इस रिएक्टर में शीतलक के रूप में सोडियम का प्रयोग किया जाता है।
- तीसरे चरण के रिएक्टर में थोरियम-233 तथा यूरेनियम-233 ईंधनों का प्रयोग करना शामिल है जिससे परमाणु ईंधन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सके। तीसरे चरण के परमाणु रिएक्टर ब्रीडर रिएक्टर होंगे जिन्हें पुनः ईंधन से भरा जा सकता है। पहली बार ईंधन भरने के बाद अगली बार ईंधन के रूप में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध थोरियम का उपयोग सीधे किया जा सकेगा। फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के धीमे विकास के कारण त्रिस्तरीय कार्यक्रम में थोरियम का प्रयोग कर सकने में बहुत देरी हो रही है। भारत अब क्रमबद्ध त्रिस्तरीय कार्यक्रम के समानांतर अलग से उन रिएक्टरों के प्रारूप पर विचार कर रहा है जो थोरियम के प्रत्यक्ष उपयोग को संभव बनाते हैं।
परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ:
- असैन्य परमाणु करार और भारत के लिये एनएसजी छूट के बाद भारत का ध्यान थोरियम आधारित त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की बजाय यूरेनियम आधारित परमाणु कार्यक्रम की ओर मुड़ता जा रहा है।
- अमेरिका एवं अन्य परमाणु देशों के मज़बूत परमाणु-अप्रसार धड़े नहीं चाहेंगे कि परमाणु अप्रसार संधि का एक गैर-हस्ताक्षरकर्ता देश (भारत) प्लूटोनियम (जो भारत के त्रिस्तरीय परमाणु कार्यक्रम के लिये आवश्यक है) के व्यापार में संलग्न हो या उसे विनियमित करे।